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________________ नमंता लन्छीविच्छतामिक्खेड ।। १५४ ॥ तसे तेसुं पंचसु जणेसु सिरिसेहरं रयइ एगो । एगो चंपइ पाए एगो छत्तं सिरे धा॥१५५॥ एगो चमरुस्खे करे उच्छंगियं कुणइ एगो । तं सोहागपगरिसं पत्तं दटुं विचिंतेइ ॥ १५६॥ दुहगाए हामझ एगोवि मागरो सायरो ण संजाओ। एईए पुण एवं पंच इमे सायरा जाया ॥ १५७ ॥ ता एईए सुलद्धो जम्मो राजीयं च माफलं जायं । नियसोहग्गमडप्फरवसाउ इच्छाए जा चरइ॥ १५८ ॥ जइ मे तवस्स नियमस्स अस्स फल मन्धि तो अहं होजा। नियसोहरगोनामियनिस्सेसमहेलियावग्गा ॥ १५९॥ एवं विहियनियाणा किंची सोहग्गमेत्थम४ावती । लग्गा सरीरयत्याइयाण पक्सालणविहीए ॥ १६०॥ भणिया गणिणीइन सबहेव तुह सुंदरं इमं काउं । एवं चरिनभंगो नुह व तहा पराणं पि ॥ १६१॥ अन्नं च दारुणफलो एसो जम्मंतरम्मि तुह होही। ता धम्मसीलसुकु-15 दुग्गवाए तुह जुजए नेयं ।। १६२॥ एवं अणेगवारे पण्णत्ता चोयणं असहमाणा । नियउवगरण समेया भिन्नम्मि उवस्मयामि ठिया ॥ १६३ ॥ पासस्थाईण पमत्तयाण साहूण जाणि ठाणाणि । ते सेविडं पवत्ता ण उण अहछंदठाणाणि ॥ १६४ ॥ नामाणि वहणि तहाविहेण विहिणा विहारमायरियं । पक्खपमाणमणसणं काउं चरिमम्मि कालम्मि ॥१६५॥1 उरणा ईमाणे गणियादेवित्तणेण पल्लाई । णव तीए परममाउं कालेण तओ चइत्ताणं ॥ १६६ ॥ एत्थेव जंबुद्दीवे भरहे सागंगाल जणवार सुपुरे । कंपिल्ले नरवणो दुवयस्स पियाए देवीए ॥ १६७ ॥ चुलणित्तिणामिगाए कुच्छीए दारिगा समु याणा । धट्ठस्नुणजुवरणो कणिडिया सोदरा भगिणी ॥ १६८॥ दुवयस्स अंगजाया एसा धूया जओ तओ नाम । समयम्मि पगत्थे दोवइत्ति संठावियं तीसे ॥ १६९॥ सा चंदकलबसिए पक्खम्मि पइक्खणं पवईती । पत्ता तारुण्णमण
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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