SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 618
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीउपदे शपदे ॥२६१॥ SSSSSSSSSSSSSS 8 सिरीसमनेवत्था सा मणोरमा तत्तो । पुट्ठा कविला तीए कस्सेसा चिन्नपुन्नस्स ? ॥७६ ॥ हसिया कविला तक्खणमयो!ीन अच्चन्भुयं इममिमीए । संढेवि पइम्मि सुया गयाववाया जओ जणिया? ॥७७॥ भणइ अभया कहं ते णायं जहाधिनिटसंढओ पई इस्से ?। उग्घाडियभिप्पाया पुघिल्लं चरियमक्खेइ ॥७८॥ देवीए पुणो भणियं णपुंसओ सो भवारिसीणं र्शनम्ति । कामुगसत्यनिरूवियपवंचएगंतविमुहाणं ॥ ७९ ॥ ण उणो मणोरमाए पवइयाए जिणाणुरत्ताए। ता कह भणियं तुमए जहा सुनिउणा इमा जीए ॥८॥ जणियाणि पुत्तभंडाणि रक्खिओ तह जणाववाओवि। संते सुदंसणे नियपइम्मि सप्पुरिसचरियम्मि ॥ ८१॥ चिंतेइ तओ कविला धुत्तेण पवंचिया जणेणाहं । एवमईए कजे फुरइ न कोई है। * उवाउत्ति ॥ ८२॥ भणिया देवी जइ नाम एस जाओ नपुंसओ मज्झ । ता किं तीरइ तुमए पुरिसो काउं सुकुसलाए ? ॥८३ ॥ अभया भणइ जइ इमं रमाविउ नो तरामितो नियमो । जावज्जीवं महिलत्तणस्स अइनीयचरियस्स ।। ८४ ॥ २ इय विहियपइन्नाए समए नयरंतरम्मि पविसित्ता । भणिया पंडियाधाई सुदंसणेणं जहा संगो ॥ ८५॥ सिज्झइ लहुं कुणह ६ तहा एयम्मि अनिम्मिए न मम जीयं । भणिया एसा तीए न सुंदरं चिंतियं तुमए ॥८६॥ सो पररामासु सहोयरत्त मेगंतियं समुबहइ । किं पुण तुह सरिसीसुं नरेंदभज्जासु, तो भणइ ॥ ८७॥ अम्मो! जहा कहंची संपाडेयवओ मम तुमए । जम्हा कविलाय पुरो मया पयिण्णाकया एसा ॥८८॥ धाईए चिंतियं धणियमेत्य एक्को परं उवाओत्ति । सो है ८ पवदिणे चउरंगपोसहो सुन्नगेहम्मि ॥ ८९॥ ठाइ मसाणे वा काउसग्गपडिमाण जीवियनिरासो। एगागी तत्थ ठिओ ना ॥२६१॥ अनजमाणो निसासमए ॥९०॥ जइ कामदेवपडिमानिभेण सकिज्जए इहाणेउं । चेत्तु दारपाले ता कहसु जहा तहा USCIOUSLOGO
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy