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________________ FACAS C - यदिणे तं अडविमइच्छिया दोषि ॥५०॥ पत्ते वसिमसमीवे आसासंपायणेण मम एसो। दूरमुवयारकारि त्ति चिंतिउं मुलदेवेण ॥५२॥ भणिओ भद्द! पयट्टसु नियकजे संभलाहि मं जइया। संपत्तरजमेजसु तइया जं देमि ते गामं ॥५२॥ दिणपहरदुगे गामं समागओ तत्थ भिक्खणहाए । करकलियपत्तपुडओ अकिलिट्ठमणो पविट्ठो सो॥ ५३ ॥ कुम्मासे हिं निय केवलेहि लद्धेहि परिओ पुडओ। चलिओ तलागतीरे अच्चंतमणुस्सुओ सणियं ॥ ५४॥ एत्थंतरम्मि मासोववासतववसविमोसियसरीरो । उज्जाणाओ एंतो गामाभिमुहो मुणी एगो ॥ ५५ ॥ पारणगकए दिट्टो अणेण पप्फुल्ललोयणमणेण । तो चिंतिउं पयट्टो अबो मे पुण्णपरिवाडी ॥५६॥ चिंतामणीवि लभइ लभइ कइयावि कप्परुक्खोवि । भोयणममए एमो न लभए भागहीणेहिं ॥ ५७ ॥ इह जं जम्मि खणे संपजई दाउमइमहग्धं तं । ता कुम्मास चिय| मज्झनो अन्नं संपयं दाणं ॥५८॥ अइवहलपुलयकलिओ हरिसंसुयउल्ललोयणजुगल्लो । पभणइ भयवं! गेण्हसु मम करुणं काउं कुम्मासे ॥ ५९ ॥ मुणिणावि दीक्खित्ताइएहिं परियाणिऊण संसुद्धिं । पज्जत्तं ते पत्ते गहिया महियाभिमागेण ॥ ६०॥ धण्णाणं खु नराणं कुम्मासा हुंति साहुपारणए । इय भणइ मूलदेवो जा परितुट्टो तओ गयणे ॥६१॥ मुणिभत्तदेवयाए मग्ग वरं पभणिओ वरेइ तओ। गणियं च देवदत्तं दंतिसहस्तं च रज्जं च ॥ ६२॥ कुम्मासेहिं अव मेसरहिं विहियं च भोयणं तेण । अमयमयभोयणेण व वाढं संपाविओ तित्तिं ॥ ६३ ॥ वेन्नायडवरनयरं पओसकाहालम्मि पावि तत्थ । देसियसहाइ सुत्तो पभायसमयम्मि पासेइ ॥ ६४॥ पडिपुन्नचंदमंडलमइधवलपहापहासियदि मोहं। पिज्जंतमप्पणा देसिओवि तं पेच्छए अन्नो ॥६५॥ पडिबुद्धा ते जुगवं हलवोलं उदिओ तओ काउं । अइम-1 - ॐॐॐॐॐ -- --
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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