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________________ श्रीउपदे- तं । भत्ता उवहसइ जहा कि कोइ निसाएँ भुंजेइ? ॥ १३७ ॥ पञ्चक्खाणपरा जं तमेवमप्पाणयं किलिस्सेसि । न हुॐ आर्यमहाशपदे निप्फलकज्जारंभभाइणो होति बुद्धिधणा ॥१३८ ॥ अह अन्नया पलत्तं तेण जहा होइ जइ इहं धम्मो। ता मज्झवि गिरि-आ 18 पच्चक्खाणमत्थु एयाएँ रयणीए ॥ १३९ ॥ भणिओ सो तीए सावियाए मा गिण्ह भंजसि तुमंति । मुद्धे! किं रयणीए यसुहस्ति॥१६१॥ से भुंजंतोऽहं तए दिहो? ॥ १४०॥ तो पवयणदेवीए अमरिसमाणाइ तस्स उवहासं । भगिणीनेवत्थधराए भक्खभाणं नि० ४ करेऊणं ॥ १४१॥ जा उवणीयं ता तक्खणेण सो भुंजिउं जया लग्गो । भणियं भजाएँ किमेयमप्पणा नियमुहेण कयं 18 ॥ १४२ ॥ भंजसि पच्चक्खाणं?, अलाहि एएणऽसप्पलावेणं । जा भणइ ताव पहओ तलप्पहारेण देवीए ॥१४३ ॥ पडियाणि दोवि अच्छीणि दहुमसमंजसं तया झत्ति । विच्छायत्तमुवगया ममेस दोसो जणो भणिही ॥ १४४ ॥ इय भाती एसा सासणदेविं पडुच्च उरसग्गे। परिसंठिया न पवयणदोसो जह होइ तह जयसु ॥ १४५॥ तक्खणमरमाण8 स्सेलगस्स अच्छीणि सजियदेसाणि । तस्सच्छिपएसे निवेसियाणि विहियाणि तीऍ तया ॥ १४६॥ पेच्छइ जणो पभाए तमेलगच्छं सविम्हओ संतो। तप्पभिई तन्नगरं विक्खायं एलगच्छं ति ॥ १४७॥ तत्थ य दसण्णकूडो सेलो सिहरग्ग भग्गरविमग्गो । जह सो गयग्गपयनामगो त्ति जाओ तहा सुणह ॥ १४८॥ किल एगया जिणवरो वीरो विहरंतओ ६ तहिं पत्तो । विहियं च समोसरणं सरणं जीवाण तियसेहिं ।। १४९॥ वीरपउत्तिनिउत्तयनरेहिं वद्धाविओ पुरे राया। सिरिमं दसण्णभद्दो दसण्णकूडेजहा भयवं! ॥१५०॥सबसढभावमुको समोसढो सुदिढरूढपोढजसो । तेसिं च पारि ॥१६१॥ तोसियदाणं दाउं विचिंतेइ ॥ १५१ ॥ सुरअसुरवंदणिज्जो तहा मए सबपरियणजुएणं । नमणिज्जो जह पुर्वि नमिओ
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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