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________________ श्रीउपदे शपदे ॥१४४॥ P-- C P कालेणं वहुएणं भोयणपुवं तहेव जायणया। पढमा सरणविलक्खा तह वितिया ततिय अप्पिणणं॥१७६॥ रोहिणी चरिमाए कोचिगाओ खेत्ताओ तुम्ह वयणपालणया।सा एवं चिय इहरा सत्तिविणासा ण सम्मं ति१७७७ वर्णिग्रह तब्बंधूणभिहाणं तुब्भे कल्लाणसाहगा मेत्ति । किं जुत्तमेत्थ मज्झं ते आहु तुमं मुणेसि त्ति ॥ १७८ ॥ तत्तोय कज्जवुज्झण-कोहण-भंडार-गिहसमप्पणया।जाहासंखमिमीणं नियकजं साहुवाओ य॥१७९॥ रायगिह नाम पुरं समत्थि तत्थासि हसियवेसमणो। निययविहवेण भणिओ णायभिहाणं धणो नाम ॥१॥ लज्जालुत्तकुलीणत्तसीलपमुहेण भूरिणा धणियं । गुणभूसणेण हयदूसणेण भूसं परं पत्ता ॥२॥ भद्दा अहेसि भज्जा तीए य समं मणोरमे विसए । सेवंतस्स कमेणं चत्तारि इमे सुया जाया ॥३॥ धणपालो धणदेवो धणगोवो तह चउत्थओ एसो। धणरक्खिउत्ति पियमाइपमुहगुरुलोयविणयपरा ॥४॥ निययायरणवसाओ संजाया उज्झियाइनामाणो। पुविं नामंतरओ लोगेणुकित्तियाओ वि॥५॥ चत्तारि बहूओ उज्झिया इमा दुइया भोगवइनामा । तइया रक्खियसन्ना चउत्थिया रोहिणी होइ ॥६॥ वञ्चति ताण दिवसा नियकुलसीलाणुवत्तणपहाणा । पत्तम्मि थेरभावे कुटुंबचिंतापरो स धणो ॥ ७॥ चिंतेइ मए कालं गयम्मि ठाणंतरमुवगयम्मि । का नाम कुडुंवभरं वोढुं होजाहि वहुयासु ॥८॥ ता जुज्जइ परिक्खा इमासि नियबंधुलोयपच्चक्खं । अपरिद्ववियकुडंबा कुडुंबिणो जंण सोहंति ॥९॥ भोयणमंडवमुदंड- ॥१४४॥ वेस ताडेत्तु मित्तनायजणं । निययं बहुजणस्स य निमंतए भोयणढाए ॥ १०॥णाणाविहभोयणदाणपुवगं आयरेण o
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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