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________________ क्षमकहा श्रीउपदेशपदे ॥१०७॥ जायविरागो पञ्चजमणुगओ अइसएण खमी ॥ १८॥ सो पुवतिरिक्खभवाणुभावओ निच्चमइछुहालू य। सबमुणीण ८ समक्खं न मए मरणावि कुवियवं ॥ १९॥ एवमभिग्गहमुग्गं गिन्हइ हिंडइ पभायसमयम्मि । अइतिबछुहाछोहियदेहो दोसीणभत्तकए ॥२०॥ तस्स य गुरुणो गच्छे जस्स समीवे स गहियपवज्जो । खमगा साहू चिट्ठति सुट्ट निठियसरीरबला ॥ २१॥ एगबितिचउमासे कओववासा कमेण चत्तारि । पवयणगुणाणुरत्ता अहरत्तिं देवया एगा ॥२२॥ ते उलंघिय चउरो कमोवविढे मुणी तओ खुटुं। वंदइ नंदियहियया पुच्छइ · कुसलं च देहस्स ॥२३॥ निग्गच्छंती ठाणाओ ताउ अमरिसवसेण एगेण । खमगरिसिणा करे सा धरिया भणिया य एरिसगं ॥ २४॥ हहो कडपूयणि पूयणिजचरणा इमे खमगसाहू । वजिय वंदेसि तिकालभोइणं खुड्डयमिमंति ॥ २५॥ सा भणइ भावखमगं वंदे हैं दवओ इमे खमगा। एस विसेसो कल्ले पभायसमए फुडं होही ॥२६॥ सो दोसीणस्स कए पभायसमए गिहेसु सड्डाण । आहिंडिय वसहिगओ इरियावहियं पडिक्कमियं ॥२७॥ भत्तं पाणं चालोइऊण खमगे निमंतए जाव । लोगेण कूरगड्डयकयनामो ताव एक्केण ॥ २८ ॥ खमगेण खमं काउं अपारयंतेण तस्स पत्तम्मि । छुढो खेलो हीलापरेण सुइभत्त भरियम्मि ॥ २९ ॥ एवं सेसेहिंपि य मिच्छाउकडपरो य सो भणइ। धी धी अलज चेटस्स मज्झ नियपोट्टभरणकए ४॥३०॥ निवाउलस्स जो खेलमल्लयं नोवणेउमलमसिं। ता खेलेणमिमेसि कयत्थओ होउ मे अप्पा ॥३१॥ आलोC डिय जा जेमइ तिचं निवेयमागया चउरो। ते खमगा सो खुड्डो केवलनाणं समणुपत्ता ॥ ३२॥ खुडयमुणिणो तेर्सिपि पगयबुद्धिफलं इमं जायं । जं कोहनिग्गहाओ निवेयाओ य णाणंति ॥ ३३ ॥ । ॥१०७॥
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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