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तीनत्तिणेण पोइया य सरपच्छिमुत्तरे भाए । नवतारुण्णा उन्नयपओहरा कन्नगा एगा ॥ १९१ ॥ तक्कालारोवियचा| केहि मम्महसरेहिं । सलिजंतसरीरो वण्णेओ सो समाढत्तो ॥ १९२ ॥ अधो सुकयपरिणई मज्झं सा जं कुरंगसुयनयणा । रणे एयम्मि कहिंचि दिट्टिपहचारिणी जाया ॥ १९३ ॥ धवलेहिं सिणेहसमुज्जलेहिं नयणेहिं तं पलोयंती । नलिया तओ पएसा विज्जुब अदंसणीहआ ॥ १९४ ॥ तत्तो मुहुत्तमेत्तेण पेसिया चेडिया इमीइ इहं । पत्ता समप्पियं वत्थजुयलमइकोमल महग्घं ॥ १९५ ॥ तंबोलं पुप्फाणि य अन्नंपि सरीरसंठिईजोग्गं । भणियं च तीइ जा सा सरपेरं ते तए दिट्ठा ॥ १९६ ॥ संतोसदाणमेयं पहियं तीए तुहं तहा भणियं । मज्झाभिमुहं हलि ! वणलयाइ एसो महाभागो ॥ १९७ ॥ जह महपिउमंतिगिहे संजायइ संठिओ तहा कुणसु । ता एह तत्थ तुम्भे नीतो तो मंतिगेहम्मि ॥ १९८ ॥ | मउलियकरकमलाए भणिओ मंतीइ तीइ जह एसो । तुह सामिणो सुयाए पहिओ सिरिकंतनामाए ॥ १९९ ॥ तो
वो तह ठाउरवेण विहियं तत्र सचित्रेण । वीयदि कमलायर बंधुम्मि समुट्टिए सूरे ॥ २०० ॥ नीओ रण्णो वज्जाउहस्स पामम्मि तेण सो दहं । अभुट्टिओ विदिण्णं धुरम्मि अह आसणं तस्स ॥ २०१ ॥ पुट्ठो वृत्तंतं साहिओ य तेणवि जहोचियं एसो । भुत्तत्तरकाले भासिओ य जह तुम्हमम्हेहिं ॥ २०२ ॥ अन्नं विसिद्धसागयकिच्चं काउं न तीरए किंचि । सिरिकंताए पाणिग्गहणं ता कीरउ इयाणिं ॥ २०३ ॥ सुद्धे दिणम्मि वित्तो वीवाहो पुच्छिया अह कयाइ । सिरिकंता | मह एगागिणोवि तं कह णु दिन्नासि ? ॥ २०४ ॥ सियदसणपहापहकर पंडुर विहियाहरा भणइ एसा । मम एस पिया बहुलदाइयपरिपीडिओ संतो ॥ २०५ ॥ अइविसमपल्लिमग्गं समस्सिओ तह य नगरगामाई । पइदिवसं गंतूणं इमम्मि