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________________ ॥ १३ ॥ जोगोत्ति कलिय विहिओ पल्लीनाहो महावलो सो य । अच्चंतनिग्घिणो हणइ गामपुरनयरसत्थाई ॥ १४ ॥ एगम्मि य पत्यावे तेणं चोराण एयमुवइहं । रायगिहम्मि य नयरे सत्थाहो अस्थि धणनामो ॥ १५ ॥ तस्स य धूया नामेण सुंसुमा सा य मज्झ तुम्ह धणं । ता एह तत्थ जामो अवहरिडं तं च एमोति ॥ १६ ॥ पडिवन्नं चोरेहिं रयणीए तओ गया य रायगिहे । ओसोयणिं च दाउं झत्ति पविट्ठा गिहे तस्स ॥ १७ ॥ मुहं चोरेहिं गिहं गहिया सा सुंसुमावि | इयरेण । धणदत्तो सुयसहिओ अन्नत्थ लहुं गिहाओ गओ ॥ १८ ॥ पावियसमीहियत्थो सद्वाणं पट्टिओ य पल्लिवई | अह उग्गयम्मि सूरे पंचहिवि सुएहिं परिकिन्नो ॥ १९ ॥ दढदेहबद्धकवओ नरवइ बहुसुहडपरिवुडो सिग्घं । तम्मग्गेणं लग्गो धूयानेहेण धणदत्तो ॥ २० ॥ भणिया य रायसुहडा धणेण धूयं ममं नियत्तेह । दबं तुम्हं दिनं इय भणिए धाविया सुहडा ॥ २१ ॥ इंते य ते पलोइय नट्ठा चोरा धणं विमोत्तूण घेत्तूण य तं सुहडा जहागिहं पडिगया सबे ॥ २२ ॥ मुयसहिओ धणदत्तो गंतुं एक्को परं समारद्धो । संपत्तो य समीवे अचिरेण चिलाइपुत्तस्स ॥ २३ ॥ मा होउ कस्सवि इइ | सीसं सुंसुमाए घेत्तूण । सो सिग्घमवक्कंतो विमणो वलिओ य सत्थाहो ॥ २४ ॥ तत्तो छुहापरद्धो पारद्धो मरिउमंगयसमेओ । चिंतेड़ पाणचागे कयम्मि इहि न गुणलाभो ॥ २५ ॥ ता केण उवाएणं धरियबा सबभक्खरहियाए । पाणा अडवीए इमाए तओ सुया भासिया तेण ॥ २६ ॥ कयकिच्चो हं पायं मारिय मं खाह कुणह नित्थरणं । वसणाओ इमाओ नरो जं जीवंतो लहइ भद्दं ॥ २७ ॥ उभयकरठवियसवणा भणति पुत्ता गुरू य देवो य । तुममम्हमिममकज्जं कहकज्जं भगमु तं चैव ॥२८॥ जेट्टसुएणं भणियं उवजीवह मं अणिच्छिए तम्मि । अणुजेट्टेणं सवेहिं चेव अप्पेवमुवणीओ ॥ २९ ॥
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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