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________________ श्रीउपदेशपदे RIGANGAN A GAUR-96495ESS हैं सेणियवंसुप्पन्ना तो तेहिं नत्तुगी अम्हं ॥४९॥ काउं ठविया कइवयदिवसे तत्तो पहाणसत्येण । उज्जेणीए नीया सीवाए पारिणामि२ देवीए उवणीया ॥५०॥ एवं अभओ तीए पहीणनिस्सेसदोससंकाए । संसारसारभूए सद्धिं विसए निसेवेइ ॥५१॥ क्यां श्री६ पज्जोयभूमिवइणो पियाणि चत्तारि संति रयणाणि । देवी सिवा, रहो अग्गिभीरुनामा,ऽनलगिरी य ॥५२॥ हत्थी, अभय ६०' लेहायरिय लोहजंघनामा चउत्थयं रयणं । सो दिवसेणं मुक्को उज्जेणीए वियालम्मि ॥ ५३॥ भरुयच्छमेइ जोयणपणु वीस, चिंतयंति रायाणो। तवासिणो जहेयं मारेमो पवणवेगंति ॥ ५४ ॥ जो अन्नो गणिएहिं सो एही वासरेहिं तत्कालं। 8 होमो सुहिया तो तस्स संबलं दाउमारद्धा ॥ ५५॥ सो नेच्छइ वीहीए ताहे य देवावियं तयं तस्स । तत्थवि कुदवमें जोइयमोयगरूवं तयं विहियं ॥५६॥ भरिया संबलथइया गंतूण पहम्मि जोयणे कइति । आरद्धो जेमेउं जा ता सउणो निवारेइ ॥ ५७ ॥ उद्वित्ता गंतूणं पुणोऽतिदूरं पखाइओ जाव । तत्थवि य स पडिसिद्धो एवं तइयपि से वारं ॥५८॥ ६ चिंतियमणेण भवियचमेत्थ केणावि कारणेणं ति। पजोयपायमूलं गओ निवेएइ नियकज्जं ॥ ५९॥ तह भोयणपडि-5 | सेहं रन्ना अभओ वियक्खणो काउं । सद्दाविओ जहा तं कहेसु एयरस परमत्थं ॥६०॥ आघाइय तं संवलथइयं भणियं इमीए किल सप्पो । दिट्ठीविसो कुदवाण जोयणाओ समुप्पन्नो ॥ ६१॥ उग्घाडणमित्तेणं एसो भासीकओ धुवं ॐ होतो। तो किं कज्जउऽरन्ने मुंचेह परम्मुहा होउं ॥ ६२॥ मुक्को दड्ढाणि वणाणि तेण नियदिहिगोयरगयाणि । अंतमु हुत्तेण मओ एसो तुट्टो य पज्जोओ॥ ६३ ॥भणिओ वरेसु वज्जिय वंधणमोक्खं तओऽभओ भणइ । तुभ चिय हत्थगओ अच्छउ एसो वरो मज्झ ॥ ६४ ॥ अन्नयाऽनलगिरी भग्गालाणो मयाउलो घेत्तुं । नो तीरइ तो अभओ पुट्ठो तेणावि
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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