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________________ 45 OCESOS * * वणम्मि वुत्थो॥ ८७॥ पुर्व सर्व चिय से निवेइयं तीइ तस्स वुत्र्ततं । तच्चरियाक्खित्तमणो विहिओ सो सावगो परमो ६ गणिका॥८८॥ जाओ य तम्मि समए दुक्कालो दोय दस य परिसाणि । सबो साहुसमूहो गओ तओ जलहितीरेसु ॥८९॥ रथिकवा तदुवरमे सो पुणरवि पाडलिपुत्ते समागओ विहिया संघेणं सुयविसया चिंता किं कस्स अत्थित्ति ॥९॥ जं जस्स 5 आसि पासे उद्देसज्झयणमाइ संघडि । तं सर्व एकारस अंगाई तहेव ठवियाई ॥९१ ॥ परिकम्म सुत्ताइं पुवगयं चूलियाऽणुओगो य । दिट्ठीवाओ इय पंचहावि नो अत्थि तत्थित्ति ॥ ९२॥ नेपालवत्तिणीए विसए किल भद्दबाहवो ४ गुरवो। विहरति दिहिवायं धरंति इय चिंतियं तेण ॥ ९३ ॥ संघेण साहुजुयलं पहियं तस्संतिए पवाएहि । दिठीवायं जं संति अत्थिणो साहुणो एत्थ ॥ ९४ ॥ कहियम्मि संघकजे पडिभणिय तेण संपइ पयट्टो साहेउं । महापाणज्झाणं पुषिं च ह दुक्कालो ॥ ९५॥ आसि पयट्टो तेण नाहमेयम्मि उवरए संते । दाहामि वायणं जं न जाइ एवम्मि सा दाउं॥९६॥ आगम्म तेण संघस्स साहियं तो पुणोवि संघाडो। तस्सतिए विसट्ठो संघाणं जो न मन्नेइ ॥ ९७ ॥ को तस्स होइ दंडो एयं भणाविओ भणइ तस्स । उग्घाडणं तओ सो तुभं चेवागयामिणं ति ॥ ९८॥ मा उग्घाडह पेसह साहुणो जे | जुया सुमेहाए । दिवसेण सत्त पडिपुच्छणाउ दाहामि जा झाणं ॥ ९९ ॥ एगा भिक्खाउ समागयस्स दिवसद्धकालवेलाए । बीया, तइया सण्णावोसग्गे कालवेलाए ॥१००॥ दिवसस्स भावणीओ चउत्थिगा वासए कए तिन्नि । तो थूलभद्दपमुहा मेहावीणं सया पंच ॥ १०१॥ पत्ता तस्स समीवे पडिपुच्छाए य वायणं लिंति । एक्कसि दोहिं तिहिं वा है क 'दिति'। * * SOCIALS
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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