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________________ ॥ १२॥ काऊण पंचमुट्टियलोयं मयमेव गहियमुणिवेसो । गंतुणं भणइ निवं इमं मए चिंतियं राय! ॥४२॥ उवयूहियो नियेणं नीहरिओ मंदिराउ स महप्पा । गणियाइ गिहे जाहि त्ति पेहिओ राइणा जंतो ॥ ४३॥ दळूण मयकलेवरदग्गंधपदेण गमाणं तं । रत्ना नायं निविनकामभोगो धुवमिमो त्ति ॥४४॥ ठविओ पयम्मि सिरिओ इयरो संभूयविजयपामूले। पयो अच्चुग्गं करेइ विविहं तवच्चरणं ॥४५॥ अहविहरंतो कइयावि पाडलीपुत्तमागओ एसो। संभूयविजयगुरुणा मदि मम्मनिरयमणो ॥ ४६॥ पत्ते वासारत्ते तिणि मुणी तिबभवभउबिग्गा । गिण्हंति कमेणेए अभिग्गहे दग्गहमरूले ॥ ४७ ॥ एगो सीहगुहाए अन्नो दारुणविसाहिवसहीए । कूवफलयम्मि अन्नो चाउम्मासं कयाणसणा ॥१८॥ भय म थूलभद्दो कोसागेहम्मि अतवकम्मरओ। निवसिस्साम्मि स गुरुणा अहिगयसत्तेणऽणुन्नाओ॥४९॥ संपत्तो घरदारे तुगए उठिऊण जह भग्गो । एसो परीसहेहिं भणाहि जं काहमेत्ताहे ॥ ५० ॥ पुधोवभुत्तरइमंदिरम्मि उजाणमन्सयारम्मि । देसु नियासं, दिन्नो भुत्तो सहिंवि रसेहिं ॥५१॥ पहाणगुणसुइसरीरा सवालंकारभूसिया सिरामो। पत्ता दीपयहत्या कयत्वमप्पाणमिच्छंती ॥५२॥ चाडुपडू पारद्धा सा तं रमिउं न सक्किया जाव । तत्तो पर्मनमोहा मुयधम्मा साविया जाया ॥ ५३॥रायाभिओगविरहेण कोइ पुरिसो मए न रमियबो । इय सा अवंभविरती पग्विजद वजियवियारा ॥५४॥ उपसमियसीहसप्पा चउमासोवासिया गुरुसयासे। कयकवफलावासो तइओवि मुणी ममायाओ॥५५॥ अन्भुटिया मणागं दुकरकारीण सागयं तुम्भा आभासिया कया जागुरुणा ताथूलभद्दोवि॥५६॥ गणियागिहम्मि पश्वासरम्मि गिव्हिय मन्नमाहारं भुजंतो रम्मतणू समाहिगुणओ य संपन्नो ॥५७॥ अइदुकरदुक USAISENSSOSSESSEISTOS
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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