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________________ पटे ॥७४॥ सो पुरस्स मज्झम्मि । तावंतेउरसज्जावालीहिं मओ निवो दिट्ठो॥४४॥ सहसुक्कूइयमेयाहि रजचिंताकरेण सो आसो। अर्थशा अहिवासिओ पुरोहियलोएण पुरंतरे णीओ ४५ अवलोइओ स पहावियदुयक्खरो फुरियफारतणुकिरणो । उग्घडियपुव्व- द्वा०कल्प8 पुण्णो आसेणारोविओ पि&ि ॥४६॥ चलियं चामरजुयलं धरियं छत्तंबरं महाछत्तं । सयलाई वाइयाई तूराणिवि भद्दसहाई कमंत्रिक ॥४७॥रायाभिसेयसारं स रज्जचिंताकरेण लोएण। ठविओ उदाइरन्नो पयम्मि सुन्ने मणुन्नम्मि ॥४८॥ तस्स दुयक्खरभावेण ते य भडा दंडभोइया सव्वे । न करेंति विणयमेसो अह चिंतइ कस्स हं राया ? ॥४९॥ अत्थाणीमज्झगओअहन्नया ४ उद्विफण निक्खंतो। पुण अइगओ न तेहिं एसो अब्भुडिओ किंचि ॥५०॥ दावियकोववियारेण तेण एए हणेह भो है गोहे । भणियमवरोप्परमिमे सोउं हासाउला जाया ॥५१॥ तो तिव्वरोसविसपरवसेण अत्थाणमंडवदुवारे । लेप्पमए पडिहारे अवलोइय भासियं तेण ॥ ५२ ॥ जइ नामेए विणयं न करेंति, किमंग तुम्ह विणयस्स । संपन्ना परिहाणी समु5हिया ते तओ सहसा ॥ ५३॥ गयपाणा केइ कया हत्थट्ठियनिसियखग्गघाएहिं । ते भडदंडाईया अन्ने नहा भओ तट्ठा ₹ ॥५४॥ तो मउनियकरकमला भूवीढलुठंतमत्थया सव्वे । खामित्ता रायाणं विणीयविणयत्तणं पत्ता ॥५५॥ तस्स कुमारा मच्चो न कोवि सव्वो तहाविहो अस्थि । तं आयरेण मग्गइ नयलग्गवि कोऽवि से हत्थे ॥५६॥ एयं ता एवं चिय नगर५ वहिं कविलनामगो विप्पो । निवसइ वंभणजणसमुचियाई कज्जाई कुणमाणो ॥५७॥ पत्ता वियालसमए अह केई साहुणो, है दुहं इण्हि । नगरंतो पविसिज्जइ ठिया तओ तस्स होमगिहे ॥ ५८ ॥ सो पंडियाभिमाणी कविलो पुच्छाउ काउमाढत्तो।" ॥७४॥ उवणीओ अइनिउणो विणिच्छओ पुच्छियत्थाण ॥५९॥ जाओ य सावगो सो जिणवयणं चिय परंति मन्नंतो। एवं काले
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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