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________________ सन्मति-विद्या-विनोद ७२९ बेटी विद्यावती, तुम्हारा जन्म ता० ७ दिसम्बर सन् १६१७ को सरसावामे मेरे छोटे भाई बा० रामप्रसाद सब-ओवरसियरकी उस पूर्वमुखी हवेलीके सूरजमुखी निचले मकानमे हुआ था जो अपनी पुरानी हवेलीके सामने अभी नई तैयार की गई थी और जिसमे भाई रामप्रसादके ज्येष्ठ पुत्र चि० ऋपभचन्दके विवाहकी तैयारियाँ हो रही थी, जन्मसे कुछ दिन बाद तुम्हारा नाम 'विद्यावती' रक्खा गया था, परन्तु आम बोल-चालमे तुम्हे 'विद्या' इस लघु नामसे ही पुकारा जाता था । तुम्हारी अवस्था अभी कुल सवा तीन महीने की ही थी, जब अचानक एक वज्रपात हुआ, तुम्हारे ऊपर विपत्तिका पहाड टूट पड़ा। दुर्दैवने तुम्हारे सिरपरसे तुम्हारी माताको उठा लिया ।। वह देवबन्दके उसी मकानमै एक सप्ताह निमोनियाकी बीमारीसे बीमार रहकर १६ मार्च सन् १९१८ को इस असार ससारसे कूच कर गई ।।। और इस तरह विधिके कठोर हाथोद्वारा तुम अपने उस स्वाभाविक भोजन-अमृतपानसे वञ्चित कर दी गई जिसे प्रकृतिने तुम्हारे लिये तुम्हारी माताके स्तनोमे रक्खा था । साथही मातृ-प्रेमसे भी सदाके लिये विहीन हो गई ।। ___इस दुर्घटनासे इधरतो मैं अपने २५ वर्षके तपे-तपाये विश्वस्त साथीके वियोगसे पीडित | और उधर उसकी धरोहर-रूपमे तुम्हारे जीवनको चिन्तासे आकुल III अन्तको तुम्हारे जीवनकी चिन्ता मेरे लिये सर्वोपरि हो उठी। पासके कुछ सज्जनोने परामर्शरूपमे कहा कि तुम्हारी पालना गायके दूध, वकरीके दूध अथवा डब्बेके दूधसे हो सकती है, परन्तु मेरे आत्माने उसे स्वीकार नहीं किया। एक मित्र बोले-'लडकीको पहाड़पर
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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