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________________ ܕ · · कलकत्ते में वीरशासन-महोत्सव वेशन प्रो० टी० एन० रामचन्द्रन् एम० ए० के सभापतित्वमे हुआ, जो वा० छोटेलालजी के अनुरोधपर मद्रास से पधारे थे और अपने साथ चित्रो आदि के रूपमे जैनकला और पुरातत्वकी कितनी ही सामग्री लाये थे, जिसे देखकर बडी प्रसन्नता हुई । आपका मार्मिक भापण अग्रेजी में लिखा हुआ था, जिसे आपने वडे ही प्रभावक ढगसे पढकर सुनाया और उसके द्वारा जैनकला तथा पुरातत्वके सभी अगोपर अच्छा प्रकाश डाला और उनकी भूरि भूरि प्रशंसा की । साथ ही यह भी बतलाया कि भारतमे सव ओर जैनकला और शिल्पका भण्डार भरा पडा है। आपके बाद डाँ० वी० एम० बटुआ एम० ए० का बंगाली मे और डॉ० एस० परमशिवम् ( मद्रासी ) का अग्रेजी मे भाषण हुआ । इसके बाद जैनइतिहास परिपद्का कार्य प्रो० हीरालालजी जैन एम० ए० नागपुरके सभापतित्वमे प्रारम्भ हुआ । सभापतिजी के भाषण के अनन्तर प्रो० कालीपदमजी मित्रका बगालीमे भाषण हुआ और उसमे जैन - इतिहासकी महत्ताको प्रकट किया गया । तदनन्तर वा० छोटेलालजीने आए हुए कुछ अग्रेजी निबन्धो की सूचना की और बतलाया कि समयाभाव के कारण वे पढे नही जा सकते । तदनन्तर प० नाथूरामजी प्रेमी बम्बईका यापनीयसघके इतिहास पर कुछ प्रकाश डालता हुआ सक्षिप्त भाषण हुआ । ६९७ ता० ४ नवम्बरको सुबह ६ बजेसे श्वेताम्बर गुजराती जैन उपाश्रयमे जैन - साहित्य और कथा --- विभागका अधिवेशन डाँ० कालीदास नाग एम० ए० के सभापतित्वमे हुआ। इस अवसर पर कितने ही दिगम्बर तथा श्वेताम्बर विद्वानो एव प्रतिष्ठित पुरुषोने परस्परके इस मिलन और मिलकर वीरशासन महोत्सव मनाने पर हार्दिक हर्ष व्यक्त किया । साथ ही अनेकान्तको
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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