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________________ ६९४ युगवीर-निवन्धावली श्रीसुशीलादेवीके नेतृत्वमे 'ऊँचा झंडा जिन शासनका' यह सुन्दर गान बडी ही मधुर ध्वनिसे गाया और वह सवको बड़ा ही प्रिय मालूम दिया। तत्पश्चात् सभामण्डपमे अधिवेशनकी कार्रवाई प्रारभ हुई। मगलाचरण और उक्त छात्राओका 'अखिल जग तारण को जलयान, प्रकटी वीर । तुम्हारी वाणी जगमें सुधा-समान' यह मगलगान हो जानेके अनन्तर सभापतिका चुनाव हुआ। इसके बाद डा० श्यामाप्रसाद मुकरजी एम० ए० डी० लिट्०, प्रेसीडेंट आल इण्डिया हिन्दू महासभाका महोत्सवके उद्बोधन रूपमे महत्वका अंग्रेजी भाषण हुआ, स्वागताध्यक्ष साहू शान्तिप्रसादजीने अपना भाषण पढा, एक महिलाने बाजेपर बंगलामे 'महावीर सदेश' गाया और फिर बाबू निर्मलकुमारजीने साहित्यादिके रूपमें वीरशासनके प्रचार तथा शोध-खोजके कार्योके लिये कलकत्तामे एक सस्थाकी योजनाका शुभ समाचार सुनाया और बतलाया कि उसके लिये दो लाखसे ऊपरका चन्दा हो गया है, जो सुनाते ही तीन लाखके करीब हो गया और बादको दो तीन दिनोमे चार लाख तक पहुंच गया। इस चन्देमे सबसे बड़ी रकम ७१ हजारकी सेठ बल्देवदासकी और ५१-५१ हजारकी तीन रकमे क्रमश बाबू छोटेलालजी, साहू शान्तिप्रसादजी और सेठ दयारामजी पोतदारकी है। पोतदार महोदय अजैन बन्धु हैं और बा० छोटेलालजी आदि प्रतिष्ठित जैनबन्धुओसे बड़ा प्रेम रखते हैं। उन्होने जब यह सुना कि बाबू छोटेलालजी ५१०००) की रकमके साथ-साथ अपना जीवन भी इस शुभ कामके लिये अर्पण कर रहे हैं तो उनसे नहीं रहा गया और उन्होने भी बड़ी प्रसन्नताके साथ अपनी ओरसे
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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