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________________ २४० युगवीर-निवन्धावली 1 शब्द विधिकृत, विधानकृत, कृत, घटित, रचित, निर्मित, सज्जित, प्रस्तुत योजित, विचारित, आविष्कृत, उत्पादित, व्यवस्थित, स्थापित नियत, स्थिरीकृत, निश्चित, निर्णीत अथवा निर्धारित जैसे आशय के लिये प्रयुक्त होता है ।' लेखकने भी यथायोग्य ऐसे ही आशयको लेकर उसका प्रयोग किया है — झूठे, बनावटी अथवा मनगढन्त अर्थका उस शब्द प्रयोगसे कुछ भी सम्वन्ध नही है, और यह बात ऊपर उद्धृत किये हुए लेखाशपर से सुदृष्टियोको सहज ही मे मालूम पड सकती है - वहाँ 'कल्पित किया' का स्पष्ट आशय स्थिर किया, निश्चित किया, निर्धारित किया, नियोजित किया, स्थापित किया, अथवा विधिकृत किया ऐसा है । बडजात्याजीको इतनी भी खबर नही पडी कि जब किसी कल्पनाको झूठी अथवा कल्पितार्थको दूषित प्रतिपादन करना होता है तब उसके लिये आमतौरपर मिथ्या कल्पना, असत् कल्पना अथवा स्वकपोलकल्पित जैसे शब्दोका प्रयोग किया जाता है-खाली कल्पना अथवा कल्पित कह देने से ही काम नही चलता, क्योकि कल्पना सत् असत् दोनो प्रकारकी होती है और तदनुसार कल्पितार्थ भी दूषित और अदूषित उभय प्रकारका ठहरता है— उक्त लेखमे कही भी वैसे शब्दोका कोई प्रयोग नही है और न 'कल्पित' शब्दसे पहले कोई विशेषण पद ही लगा हुआ है, तब उसके प्रतिपाद्य विषयको झूठा, बनावटी अथवा 'मनगढन्त' कैसे समझ लिया गया ? क्या श्रावक लोग कोई अच्छी कल्पना नही कर सकते, कोई अच्छी ईजाद नही कर सकते या अपनी भक्तिके लिये कोई अच्छा प्रशस्त मार्ग नही निकाल सकते ? क्या इस विषयमे वे जड मशीनोकी तरह १ देखो आप्टे साहबके दोनों कोग ( १ सस्कृत - इङ्गलिश डिक्शनरी और २ इङ्गलिश संस्कृत डिक्शनरी ) ।
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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