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________________ विवाह क्षेत्र- प्रकाश ४२१ हैं 'सहोदर' को सगे भाईको - जिनका उदर तथा गर्भाशय समान है— एक हैं - अथवा जो एक ही माताके पेटसे उत्पन्न हुए हैं वे सव 'सोदर' कहलाते हैं । और इसलिए सोदर, समानोदर, सहोदर, सगर्भ, सनाभि और सोदर्य ये सब एकार्थवाचक शब्द हैं । ' शब्द कल्पद्रुम' मे भी सोदरका यही अर्थ दिया है । यथा - "सोदर, ( सह समान उदर यस्य । सहस्य स । ) सहोदर इति शब्दरत्नावली ।" " सहोदर, एकमातृगर्भजात भ्राता । तत्पर्याय -, सहज, सोदर, भ्राता, सगर्भ, समानोदर्य, सोदर्य इति जटाधर ।" वामन शिवराम आप्टेने भी अपने कोशमे इसी अर्थका विधान किया है । यथा - " सोदर & [ समानमुदर यस्य समानस्य स ] Born from the same womb ( गर्भ, गर्भाशय ), uterine -र & uterine brother " “Uterine, सहोदर, सोदर, समानोदर, सनाभि ऐसी हालत मे, देवकी कसकी बहन ही नही, किन्तु सगी वहन हुई और इसलिये उसे राजा उग्रसेनकी पुत्री, नृप भोजकवृष्टिकी पौत्री, महाराजा सुवीरकी प्रपोत्री और ( सुवीरके सगे भाई सूरके पोते ) वसुदेवकी भतीजी कहना कुछ भी अनुचित मालूम नही होता । 1) वशावलीके बादके इन्ही सब खण्ड- उल्लेखोको लेकर देवकीको राजा उग्रसेनकी पुत्री लिखा गया था । परन्तु हालमे जिनसेना - चार्य के हरिवशपुराणसे एक ऐसा वाक्य उपलब्ध हुआ है जिससे
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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