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प्रेमानंदजी को पद १, माधोदासजी का पद १, बालश्रीकजी का पद २, पृथ्वीनाथजी कापद २, पूरणदासजी का पद २, वनवकुठजी को पद १, जनकचराजी को पद १, मुकुदभारथीजी का पद २, व्यासजी को पद १, रंगीजी को पद १, अंगरजी का पद २, भवनाजी का पद ३, धनाजी का पद ३,कीताजी को पद १, सधनाजी का पद २, नरसीजी का पद २, सनजी का पद २, ग्रंथ १,प्रसजाकी साखी ५,किवत ४, पद ५, तिलोचनजी को पद १, ज्ञान निलादक जी का पद १, बुधानंदजी का पद १, राणाजी का पद २, मीहाजी को पद १, पीथलजी को पद १, छीनाजी का पद २, नापाजी का पद ११, विद्यादासजी को पद १, सांवलियाजी को पद १, देवजी को पद १, मतिसुन्दरजी को पद ५, सोमनाथजी को पद १, कान्हजी का पद १०, हरदासजी का पद ५, बखतांजी का पद २, संदरदामजी का पद ३, दासजीदास का पद ४, जैमलजी को पद १, केवलदासजी का पद २, जनगोपालजी का पद १३, गरीबदासजी का पद १, नेतजी का पद ३, परमानदजी का पद ६, सूरदासजी का पद १६, श्रीरंगजी का पद २, जनमनोहरदास का पद १, बिहारीदासजी को पद १, सोमाजी का पद ७, शेख फरीदजी का पद २, ईसनजी को पद १, माह हुसैनी को पद १, वहलजी का पद ४, शेव बहावदीजी का पद ४, काजी महम्मदजी का पद १६, मनसूरजी का पद १, झूलगौ १, सेवादासजी का सवैय्या ४, कुंडलिया २, पद ४५, प्रल्हादजी का पद ५, फुटकर पद २६, मर्व पद २६२, संत १२०, लघुतानाम ग्रंथ, टीकमजी का सवैया १०, अनाथ कृत विचारमाला का शब्द २०६, ग्रन्थ : (सं०१७२६ माधव )। हरिरामकृत दयाल जी हरिप्ररमजी की परची का शब्द ३६. गोपालकृन ग्रंथ प्रल्हाद चरित्र २४४, दोहा ३७, चौपाई २०१, छंद ६ । जनगोपाल कृत ग्रन्थ जडभरथ चरित्र शब्द ६२, रामचरण कृत ग्रन्थ चिंतामणी शब्द १२७, दोहा २५, चौपई १००, सोरठा २, सतपुरसां का नाम १२७ । लेखनकाल-संवत् १८५६, वैसाखवदी · शनिवार लिखी परवतसर मध्ये स्वामीजी श्री बालकदासजी तच्छिष्य हरिराम शिष्य