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________________ ( २२ ) माष बदि बाट जो महीना पुनि पाम है। सुम बुधवासह मुपलु सुम घरी पुनि, महा सुम नखतु निपट सुम नाम है। करो तहा ख्यालु पुरुषोत्तम बनाइ करि । भरो याको नीको हनुमानदूतु नाम है । सीता की ताकी अधिक, सीता की सुधि पाई । वाज बहादुर चंद को, मो दयाल रखुराई ॥ १०० रामायनु कीनौ हुतौ, वालमीकि बुधि लाइ । पुरुषोत्तम सुनि कह कथा, कीनी भाषा मा ॥ १०१ साहसकृत सौं कहत है, सुरवानी सब कोई । ताने भाषा मैं कथा, की प्रसिद्ध जग होइ ॥ १०२ हनुदूत को जो मुने, केधौ पदे बनाइ । तासौं कविता सौं सदा, राजी रहे रखगई ॥ १०३ कवि पुरुषोत्तम है कियो, रामायन को नतु । इति श्री सिगरी है भयौ, हनुमान दुत्ततु ।। १०४ . इति-संपूर्ण । प्रति-पत्र १३, पं०११, अक्षर ३५, साइज १०४४ [स्थान- अनूपसंस्कृत पुस्तकालय ]
SR No.010790
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Vishva Vidyapith
Publication Year1954
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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