________________
(१०)
शुद्ध
करेज मार
सुजान वर
___ अशुद्ध कहे जै पार सु जस्न वर उडुपति पार ॥२३॥ समसार दिधन कृपाकर अन्य निवांचे কৰ বননি भीया दोप सृणिन सब आदि राजा हंस यशोधीरेय नारनी जीनब निर्नय जनाईन भट्ट
११ समसार दियन कृपाकटाक पनि वांचे घर वरनी भाया दोग सुछिम सम अहि राजहंस यशोचीरेण तरनी जीवन निर्णय जनार्दन भट्ट सं० १७३० कार ब.६ रविवार स्थान- अनूप संस्कृत लाइब्रेरी
स्थान-संस्कृत लाइब्ररी लहे विस
लरे
विय
बंई
बहुँ
कहत लापनि पुन्नि
कुसुल लाय निपुन्न
७३
१२
समान
समाज
गुरु
७४ ७४
१२ मया १५ खुरतर
आनंदसिंध
मग खरतर आनंद सिंघ जैसलमेर वृहद् शान भंडार