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________________ टिप्पणियाँ [२६ समय धर्मेन्द्रने अपनी सभामें महावीर प्रभुके धैर्यकी प्रशंसा की। सभामें संगम नामका एक देव था। उसने भगवानको धैर्य से डिगानेका निश्चय किया। वह ध्यानमग्न प्रभुके पास आया। उसने प्रभुपर एक रातमें २० तरहके उपसर्ग किए। उनमें से अठारह शरीरको पीड़ा पहुँचानेवाले थे और दो शरीरको शांति देनेवाले थे। मगर प्रभु ध्यानसे चलित नहीं हुए। जब वहाँसे प्रभुने विहार किया, तब भी संगम छः महीने तक लगातार प्रभुके शरीर को पीड़ा पहुँचाता रहा; मगर प्रभु नहीं घबराए । अन्तमें वह हारकर प्रभुसे क्षमा माँगकर चला गया। "इसने कितने बुरे कर्म बाँधे हैं। यह विचारकर प्रभुकी आँखों में करुणाके कण आ गए। १२-भगवान ऋषभदेवजी आर अजितनाथजीसे सम्बन्ध रखनेवाली मुख्य मुख्य बातें। ऋषभदेवजी अजितनाथजी १. च्यवनतिथि आपाढ़ वदी ४ | वैशाख सुदी १३ २. किस विमानसे सवोर्थसिद्धि | विजयविमान ३. जन्मनगरी विनीता अयोध्या ४. जन्मतिथि चैत्र वदी, माघ सुदी ८ ५. पिताका नाम नाभिकुलकर जितशत्रु ६. माताका नाम मरुदेवी विजया ७. जन्मनक्षत्र उत्तरापाढा रोहिणी ८. जन्मराशि धन ६. लक्षनाग वृषभ हस्ति - मुख्य बातें - | वृष
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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