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________________ विषय-सूची १-प्रकाशकोंका वक्तव्य २–प्रस्तावना .. . पर्व पहला ... पहला सर्ग-चौबीस तीर्थंकरस्तुति (पेज १ से 8 तक) · ऋषभदेवजीका पहला भव 'धनासार्थवाह' का वृत्तांत (पेज १० से ३४) [ग्रीष्म और वर्षाका वर्णन (१६-१७) धर्मघोष आचार्यका उपदेश संक्षेपमें जैनधर्म (२३-३४)] दूसरा भवयुगलियोंका और कल्पवृक्षोंका वर्णन (३४-३६)। तीसरा भवसौधर्म लोकमें उत्पत्ति (३६)। चौथा भव-महाविदेहक्षेत्र में महाबल (३६-५७ ) [ नास्तिक, मायावाद वगैरा मतोंका खंडन-मंडन (४१-५१)] । पाँचवाँ भव-दूसरे देवलोक में ललितांग देव (५८-७५) [ चतुर्गति का वर्णन (६६-७१) ] छटा भव--महाविदेह क्षेत्रमें वनजंघ (७५-८५) । सातवाँ भवउत्तरकुरुमें युगलिया (८५)। आठवाँ भव-सौधर्म देवलोकमें देव (८५).नवाँ भव-जीवानंद वैद्य (८५-६३) । दसवाँ भवअच्युत नामक देवलोकमें देव (१३)। ग्यारहवाँ भव-वजनाभ चक्रवर्ती (६४.-११०) [लब्धियों का वर्णन (१०१--१०५) बीस पद या स्थानक (१०६-१०६)] बारहवाँ भव-अनुत्तर विमानमें देव (११०)।
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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