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________________ ६६०] त्रिषष्टि शलाका पुरुष-परित्रः पर्व २. सर्ग ३. - - ज्ञातवंश, विदेहवंश, कुलवंश, उग्रवंश, भोजवंश और राजन्यवंश वगैग कुलों में जन्मे हुए मनुष्य जानिबार्य कहलाते हैं। कुलकर, चक्रवर्ती, वासुदेव और बलभद्र तथा उनकी तीसरी, पाँचवर्वी या सातवीं पीढीमं श्राप हुप शुद्ध वंशम जन्मे हुए मनुष्य कुलार्य कहलाते हैं। पूजन करना और कराना, शान्त्र पढ़ना और पढ़ाना-इनमें या दूसर गुम प्रयोगोंसे-कामोंसे जो श्राजी. विका करते हैं वे कमार्य कहलाते हैं । थोड़ पाप व्यापारवाले, कपड़ा बुननेवाले, दरजा, कुमार, नाई और पुनारी वगैरा शिल्यायं कहलाते हैं। जो उच्च भाषाके नियमवाले वर्षों से पूर्वापांचों प्रकारके प्रायों के व्यवहारको बताते हैं वे भाषाार्य कहलाते हैं। (३१४-६५८) ___"शाक, यवन, शवर, वर्वर, काया, मुंड, उड्र, गोड, पत्कणक, अरपाक, हूण, गेमक, पारसी, खस, नासिक, डोंब. लिक, लक्कुस, मिल्ल, अंध्र, बुक्कस, पुलिंद, कौंचक, भ्रमरकत, कुंच, चीन, बंचुक, मालव, द्रविड. कुलन. किरात, कैकय, इयमुन्य, गजमुख, तुरगमुम्ब, अजमुम्ब, हृयकर्ण, गजकरणं प्रार दूमर मी अनायाँ के भेद है। जो 'घमं इन अक्षरों तकको नहीं जानते, इमी तरह जो धर्म और अधर्मको अलग नहीं समझते वे सभी म्लेच्छ कहलाते हैं। (६७-६८३) । दूसरे अंतरद्वीपोंमें भी मनुष्य हैं। वे भी धर्म-अधर्मको नहीं समन्ते । कारण वेयुगलिचे हैं। ये अंतरद्वीप छप्पन है। उनमेंसे अट्ठाइस द्वीप, क्षुद्रहिमालय पर्वतके, पूर्व और पश्चिम नरफके अंतमें ईशानकोण वगैरा चार विदिशाओंमें लवण समुद्रमें निकली हुई डाढोंपर स्थित हैं। उनमें ईशानकोणसे
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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