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________________ ५.७६ ) त्रिपष्टि शलाका पुरुप-चरित्र: पर्व २. सग २. इससे, उसने अवधिनानकं द्वारा बहतका जन्म जाना । उसने महनुम नामक ज्यादा सेनाके सेनापतिको पाना दी। उसने पानानुसार महीधस्वर नामका घंटा तीन बार बनाया। घंटकी श्राबान बंद होनेपर उसने असुरों के कानोंके लिए अमृतप्रबाइक समान (दुसरे तीर्थकरके जन्मकी) बात सुनाई। उसको सुनकर सभी देवता, मेघकी गर्जना सुनकर हंस जैसे मानसरोवर पर जाते हैं वैसे बलीद्र पास आए । साठ हजार सामानिक देवां, इनसे चार गुन (२४८०००) यात्मरक्षक देवों और दुसरं चमरेंद्र के साथ जितने देवताओं और परिवारकी संग्ख्या थी उतनी देवताओं व परिवारकी संख्याके साथ, चमरेंद्रके समानही बड़े और सभी साधनवाले विमानमें बैठकर वह नंदीश्वरदीप रतिकर, पवनपर अपने विमानको छोटा बनाकर मेरुपर्वतके शिन्वरपर (प्रभुचरणोंमें ) अाया। (३८-३६०) __ उसके बाद नागकुमार, विद्युतकुमार, सुपर्णकुमार, अग्निकुमार, वायुकुमार, मेवकुमार, उदधिक्रुमार, द्वीपकुमार और दिशाकुमार नामक दक्षिणा श्रेणी में रह हा देवलोकोंके क्रमशः स्वामी धरणींद्र, हरि, वणुदेव, अग्निशिस्त्र, वलंब, मुघोप, जलकांत, पूर्ण; और अमित नामके इंद्रनि तथा उत्तर श्रेणीके भूतानंद, हरिशिग्व, वंगुदारी, अग्निभाणवं, प्रभजन, महाघोप, जलप्रभ, अवशिष्ट और अमितवाहन इंद्राने श्रासनकंपसे अवधिज्ञान द्वारा पहन जन्म जाना । घरगींद्रादिकका घंटा भद्रसेन नाग सेनापतिन बजाया और भूतानंदादिकका घंटा दक्ष नामक सेनापतिने बजाया। इससे दोनों श्रेणियोंक - - - - - Mamta AMAR
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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