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________________ ४६६ ] त्रिपष्टि शलाका पुरुष- चरित्रः पर्व १. सर्ग દુ - कांति सोने के जैसी, काया साढ़े चार सौ धनुष ऊँची और दीक्षापर्याय एक पूर्वाग ( चौरासी लाख वर्ष ) कम एक लाख पूर्व होगी । मेरे और अजितनाथ के निर्वाणकालमें पचास लाख कोटि सागरोपमका अंतर होगा । (२७६-२८० ) - ३- जितारी राजा और सेना रानी के पुत्र तीसरे संभव नामके तीर्थंकर होंगे। उनकी क्रांति सोने जैसी, श्रायु साठ लाख पूर्वकी, काया चार सौ धनुप ऊँची और दीक्षा- पर्याय चार पूर्वांग (तीन सौ छत्तिस लाख वर्ष) कम एक लाख पूर्व होगी । और अजितनाथ तथा उनके निर्वाण के बीच में तीस लाख करोड़ सागरोपमका अंतर होगा । (२८१-२८२ ) · १ - विनीतापुरी (अयोध्या में संवर राजा और सिद्धार्था रानीके पुत्र अभिनंदन नामक चौथे तीर्थंकर होंगे । उनकी श्रायु पचास लाख पूर्वकी काया सोनेके रंग जैसी, साढ़े तीन सौ धनुपकी; और दीक्षा-पर्याय आठ पुत्रांग (६ करोड ७२ लाख वर्षे) कम एक लाख पूर्वकी होगी। संभवनाथ और अभिनंदन - नाथके निर्वाणके बीच में इस लाख करोड़ सागरोपमका अंतर होगा । (२८३ - २८१ ) : ५- अयोध्या में मेघ राजा और मंगला रानीके पुत्र सुमति नामके पाँचवें तीर्थंकर होंगे। उनकी कांति सुवर्णके जैसी; श्रायु चालीस लाख पूर्वकी काया तीन सौ धनुषकी और दीक्षापर्याय द्वादश पूर्वाग (दस करोड़ आठ लाख वर्ष) कम एक लाख पूर्वकी होगी । श्रभिनंदननाथ और सुमतिनाथके निर्वाणकालका अंतर नौ लाख कोटि सागरोपमका होगा । ( २८५ - २८६ )
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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