SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . . प्रथम भव-धनसेठ ... [२५ - जीव दो तरहके होते हैं-स्थावर और त्रस । उनके भी दो भेद है-पर्याप्त और अपर्याप्त । . पर्याप्तियाँ छः तरहकी होती हैं। उनके नाम हैं १. श्राहार २. शरीर, ३. इंद्रिय, ४. श्वासोश्वास, ५. भाषा, ६. मन । . एकेंद्रिय जीवके (पहली) चार पर्याप्तियाँ, विकलेंद्रिय जीव (दो इंद्रिय, तीन इंद्रिय और चार इंद्रिय जीव) के पहली पाँच पर्याप्तियाँ और पंचेंद्रिय जीवके छहों पर्याप्तियाँ होती हैं। (१५८-१६०) ... एकेंद्रिय स्थावर जीव पाँच तरहके होते हैं-१. पृथ्वी (जमीन) २. अप (जल) ३. तेज (अग्नि) ४. वायु (हवा) ५. वनस्पति । इनमेंसे आरंभके चार सूक्ष्म और वादर ऐसे दो तरहके होते हैं । वनस्पतिके प्रत्येक और साधारण दो भेद हैं। साधारण वनस्पतिके. भी दो भेद हैं। सूक्ष्म और बादर । (१६१-१६२) __ त्रस जीवोंके चार भेद है-१. दो इंद्रिय, २. तीन इंद्रिय, ३. चार इंद्रिय, ४. पंचेंद्रिय । - पंचेंद्रिय जीव दो तरह के होते हैं-१ संज्ञी, २. असंज्ञी। - १- जिस जीवके जितनी पर्याप्तियाँ होती हैं उननी जो पूरी करता . है उसे पर्याप्त जीव कहते हैं । २-जिस जीवके जितनी पर्याप्तियाँ होती हैं उतनीको पूर्ण किए बिना जो मरता है उसे अपर्याप्त जीव कहते हैं ।
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy