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________________ १६ त्रिषष्टि शलाका पुरुष-चरित्र पर्व : सर्गः १. ग्रीष्म वर्णन सरोवरों और नदियोंके पानीको, रातकी तरह... कम करनेवाला (गरमी के दिनोंमें नदियों और तालाबोंका पानी सूखता है और रात छोटी होती हैं।) मुसाफिरोंके लिए. दुखदायक भयंकर गरमीका मौसम आ पहुँचा। भट्ठींकी आगकी तरह असह्य लूएँ (गरम हवाएँ) चलने लगी। अंगारोंके समान गरम बृपको सूरज चारों तरफ फैलाने लगा सार्थक लोग रस्ते अानेवाले वृक्षोंके नीचे चलते चलते रुक कर थोड़ा थोड़ा विधाम लेते हुए आगे बढ़ने लगे। पानीकी हरेक प्याऊपर जाकर लोग पानी पीने और थोड़ा लेटने लगे। भैसे अपनी जीभ बाहर निकालने लगे; मानों निसासनि उनको वाहर धकेल दिया है। वे चलानेवालोंके ग्राघातांकी (लाठी वगैरक मारकी)कुछ परवाह न कर कीचड़म घुटने लगे। सारथी चाधुकोले पीटते थे तो भी बैल मारकी परवाह न करते हुप.वृनोंकी. जो वृतरस्तांसं दूर होते थे उनकी, छायाम जां खड़े होते थे। मोम जैसे लोहेकी गरम कील लगनसं पिघलने लगता है वसही मूरजकी गरम किरणें लगनेंस लोगोंके शरीर पिघलने लगे (उनके शरीरोसं पसीना बहने लगा।) यागर्म तपार हुए लोहकी तरह सूरज अपनी किरणोंको गरम करने लगा। मार्गक्री घृल कंडाली भृमली जलने लगी । लायकी .. स्त्रियाँ मार्गमें पानवाली नदियोंम (जहाँ वहाब न हो और . एक तरफ नदी में पानी भर रहा हो ) इतर.कर नहाने यार कमलिनीकी इंडियाँ तोइसर गलामें लपटने लगीं। पसीनस तर कपड़े पहने हुए लिया गली मालम होती थीं, मानों वे अभी नहाकर भाग कप पहने पा रही है। मुसाफिर लोग ढाक, ताइपत्र, हिताल (छोटी जातिका एक खजूर),
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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