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________________ [१६] २. दूसर पर्व में तीर्थंकर अजितनाथजी और चक्रवर्ती मगरकं . चरित्र है। ३.नार पर्वमें पाठ तीर्थंकरोंके (समवनाथजी, अमिनन्दन __जी, मुमतिनाथजी, पद्मप्रभुजी, भुपाश्वनायजी, चन्द्रप्रमुजी, . मुविधिनायनी और शान्तिनाथजीके ) चरित्र है। ४. चौथ पर्वमें ५ तीर्थकरोंके (श्रेयांसनाथजी, वासुपुञ्चजी, विमलनाथजी, अनंतनायनी, और धर्मनाथजीके,) दो चक्र.. बर्दियोंके (मयत्रा और मननकुमारके,) पाँच वामुवाँक (त्रिपृष्ट, हिपृष्ट, स्वयंभू , पुरुषोत्तम व पुनपसिंहके) पाँच प्रनिवासुदेवोंक (अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधु और निकम) 'और पाँच बलभद्रोंक (अचल, विजय, मद्र, मुप्रम व मुदर्शन।) चरित्र है। ५ पाँचत्र पर्व में तीथंकर श्रीशांनिनायत्री और मवर्ती श्रीशांविनायनीके चरित्र हैं। (चक्रवर्ती शांतिनाथजी ही अंत .. में उयी भव में नीर्थकर भी हुए हैं। एक ही लीव एकही मत्रमें दो पालाका पुन्य हुआ है।) ... . ६. छठे पत्र में चार तीर्थंकरों (थुनाथजी, अरनाथनी मन्लिनाथजी और मुनिमुवनस्वामी ) चार चक्रवर्तियोंके (युनाथजी, अरनायनी, मुमोम और पद्म ) दो वासुदेवांक (पुन्यपुण्डरीक और. दत्तके ) दो प्रतिवामुवाँक (बलि और .. प्रहलाद) और दो बलमद्रांक (आनन्द और नन्दन) अल चौदह शलाका पुरुषोंक चरित्र हैं। (इनमेंसे कुशुनाय जी और अपनायली एकही भवन चक्रवती भी हरा और तीर्थकर भी हुए इसलिए जीव बारह ही है।) (कुंथुनाथजी, इतके ) दो प्रतिवाद और नन्दन)
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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