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________________ ( ४ ) मिल सकी। व्यावरनिवासी भक्त श्रीकन्हैयालालजी गार्गीय तथा श्रीमवरीलालजी दाणीने इस प्रकाशनकार्यमे तन-मनसे सहायता की है। और उक्त ट्रस्ट के सेक्रेटरी वा० श्रीजयकृष्णजो टण्डनने सब प्रकारसे इस कार्य सम्पादन में व्यक्तिगत सहयोग दिया है। म० श्रीमुनिलालजीने इस पुस्तकके प्रफशोधनमे पूरी सहायता दी है। इनके अतिरिक्त निम्नलिखित सज्जनोंने अपने ही भावसे रित हो इस प्रन्यके प्रकाशनमें आर्थिक सहायता प्रदान की है(१) १०००) एक प्रेमी भक्तका गुप्त दान) (२) ६१५) श्रीमान् लाला कन्हैयालालजी भोलानाथ फिरोजपुर (३) ४४०) " लाला जगन्नाथजी रामजीलाल फीरोजपुर (४) २००) " भ. बद्रीदासजी अजमेर १५०) " लाला कन्हैयालालजी जगदीशप्रसाद फीरोजपुर (६) १००) " एक प्रेमी भक्तका गुप्त दान (७) ५०) " म० हरिरामजी न्यावर उपयुक्त सब सजनोंकी सेवा और सहयोग के लिये हम आभारी है । ग्रन्थके विषयमें इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि ग्रन्थ अपने स्वरूपसे पूर्ण है। प्रकृतिराज्य प्रवृति व निवृति दो मागापर ही अवलम्बित है। हमें विश्वास है कि यह ग्रन्थ प्रत्येक मार्गावलम्बीके लिये सोपान क्रमसे श्रेय-पथका प्रदर्शक होगा और प्राकृतिक नियमकी उत्तम शिक्षा देनेवाला प्रमाणित होगा। यदि मनमे सत्यताका आदर धारणकर इसे पढ़ा गया वो 'वर्तमानमें हमारा चित्त किस सोपानपर है। ऐसा प्रत्येक पाठक अपने-अपने चित्तोंको इस ग्रन्थकी कसौटीपर रखकर भलीभॉति परख सकेंगे और इससे आगे लिये उनके साधनका मार्ग दर्शन भी इस ग्रन्थसे प्राप्त हो सकेगा। __ मदनमोहन वर्मा, एम.ए., राय बहादुर ' (रजिस्ट्रार राजपूताना विश्वविद्यालय),प्रधान,आ. कु. टू पुष्कर
SR No.010777
Book TitleAtmavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmanandji Maharaj
PublisherShraddha Sahitya Niketan
Publication Year
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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