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________________ वा निकाल सपना देनेवाले हैं तो एक ही वस्त्र विभूतियाँ ईसा, २०५] [साधारण धर्म घरका उपलक्षण है, ठीक उसी प्रकार उपर्युक्त विभूतियाँ ईसा, मूसा, राम, कृष्णादि भी किसी एक ही वस्तु के उपलक्षण हैं और 'घर'का पता देनेवाले हैं तथा जिज्ञासुका प्रयोजन भी घरका पता निकाल लेनेसे ही है । परन्तु मन्दबुद्धियोंद्वारा दूधमें खटाई डाल दी जाती है तो होता यह है कि उपलक्षणोंपर ही मन खट्टे कर लिये जाते हैं और लक्ष्य वस्तुको छोड़ ही दिया जाता है। देवदत्तके घरका पत्ता किसीने काकको इशारा करके बतलाया, किसीने विल्लीको संकेत करके और किसीने कुत्ते को, परन्तु कुत्त-विल्लीके ऊपर, मगड़नेसे क्या मतलब ? हमारा प्रयोजन तो घरका पता लगानेसे ही है। परन्तु शोक कि मुख्य आशयको छोड़ इसके विपरीत शैव वैष्णवके साथ लड़ता है तो शिया सुन्नीसे, सनातनी समाजियोंसे भगड़ रहे हैं तो ईसाई मुसाइयोंसे, कहीं रोमनकैथोलिक और प्रोटेस्टेएटका झगड़ा चल रहा है तो कहीं जैन और बौद्धोंका। वास्तवमे सब धर्मोके भूलमें एक 'प्रेम' ही है और द्वेष किसीका भो मूल नहीं, परन्तु अपनी नासमझीके कारण God को Dog में बदल दिया जाता है। महर्षि याज्ञवल्क्यने हाथ ऊँचा उठाकर क्या ही सुन्दर ललकार दिया है ! धर्म यो बाधते धर्मो न स धर्मः कुधर्म तत् । अविरोधी तु यो धर्मः स धर्मों मुनिपुङ्गवः ।। अर्थ:-जो धर्म किसी दूसरे धर्मको बाधा देता है वह १. अरेजी भाषामें God (गोव) शब्दका अर्थ परमात्मा है और Dogg (ढोग) शब्दका अर्थ कुत्ता है। दोनों शब्दों में अक्षर एक ही है, परन्तु अक्षरोंको उलट-पलट करनेसे अर्थका इतना भारी मन्तर हो जाता है।
SR No.010777
Book TitleAtmavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmanandji Maharaj
PublisherShraddha Sahitya Niketan
Publication Year
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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