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________________ १९० स्वामी समन्तभद्र। रूपसे ' तुम्बुद्धराचार्य' नामके एक विद्वानका उल्लेख किया है जो 'तुम्बुलूर ' प्रामके रहनेवाले थे और इसीसे 'तुम्बुलराचार्य' कहलाते थे । साथ ही, यह बतलाया है कि उन्होंने वह टीका कर्णाट भाषामें लिखी है, ८४ हजार श्लोकपरिमाण है और उसका नाम 'चूडामणि' है * । तुम्बुद्धाचार्यका असली नाम 'श्रीवर्द्धदेव' बतलाया जाता है-लेविस राइस, एडवर्ड राइस और एस० जी० नरसिंहाचार्यादि विद्वानोंने अपने अपने ग्रंथोंमें x ऐसा ही प्रतिपादन किया है. परन्तु इस बतलानेका क्या आधार है, यह कुछ स्पष्ट नहीं होता । राजावलिकथेमें 'चूडामणिव्याख्यान' नामसे इस टीकाका उल्लेख है, इसे तुम्बलराचार्यकी कृति लिखा है और ग्रंथसंख्या भी ८४ हजार दी है; कर्णाटक शब्दानुशासनमें 'चूडामणि' को कनड़ी भाषाका महान् ग्रंथ बतलाते हुए उसे तत्त्वार्थमहाशास्त्रका व्याख्यान सूचित किया है, ग्रंथसंख्या ९६ हजार दी है परंतु ग्रंथकर्ताका कोई नाम नहीं दिया, और श्रवणबेलगोलके ५४ वें शिलालेखमें श्री * यथा-अथ तुम्बुलूरनामाचार्योऽभूत्तुम्बुलूरसद्ग्रामे । षष्ठेन विना खण्डेन सोऽपि सिद्धान्तयोरुभयोः ॥ १६५ ॥ चतुरधिकाशीतिसहस्त्रमन्थरचनया युक्ताम् । कर्णाटभाषयाऽकृत महतीं चूडामणि व्याख्याम् ॥ १६६ ॥ ४ देखो 'इंस्क्रिपशंस ऐट श्रवणबेलगोल' पृ० ४४, हिस्टरी आफ कनडीज लिटरेचर' पृ. २४ और 'कर्णाटककविचरिते के आधारपर पं. नाथूरामजी प्रेमी-लिखित कर्णाटकर्जनकवि' पृ० ५। १ देखो राजावलिकथेका निम्न अवतरण जिसे राइस साहबने श्रवणबे. ल्गोलके शिलालेखोंकी प्रस्तावनामें उद्धृत किया है_ 'तुम्बुलूराचार्यर एम्भ-नाल्कु-सासिर-प्रन्थ-कर्तगलागि कर्णाटकभाषेयिं चूडामणि-व्याख्यानमं मादिदर ।'
SR No.010776
Book TitleSwami Samantbhadra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1925
Total Pages281
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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