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________________ पू० श्रीएकलिंगदासजी म० .४७ उंटाला सं. १९५० का चातुर्मास रासमी सं. १९५१ का सनवाड सं. १९५० का सं. १९५३ रायपुर सं. १९५४ भाकोला सं १९५५ का उंटाला राजाजी का करेड़ा सं. १९५७ , सनवाड स. १९५८ । उदयपुर स. १९५९ , रायपुर सं. १९६० ॥ सनवाड सं. १९६१ , बदनोर गुरुदेव का स्वर्गवास__संवत् १९६१ तक के चातुर्मास अपने पूज्य गुरुदेव श्री वेणी. चंदजी महाराज के साथ व्यतीत किये । आपने उनको खूब सेवा की। चातुर्मास 'समाप्ति के पाद संवत् १९६१ की फाल्गुन कृष्णा अष्टमी के दिन चैनपुरा गांव में घोर तपस्वी श्रीवेणीचन्दजी महाराज का संथारा पूर्वक स्वर्गवास हो गया । गुरुदेव के स्वर्गवास से आपको बड़ा आघात लगा किन्तु आपने शास्त्रज्ञ होने से इस वज्रमय गुरु वियोग रूप दुःख को अत्यन्त शान्ति पूर्वक सहन किया और उनके बताये मार्ग पर दुगुने उत्साह के साथ आगे बढ़ने लगे। स. १९६२ का चातुर्मास रायपुर सं. १९६३ गोगुंदा सं. १९६४ ॥ उंटाला सं. १९६५ " " रायपुर सं. १९६६ , " सरदारगढ़ . . स. १९६७ " , देलवाड़ा
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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