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________________ पू० श्री एकलिंगदासजी म. में इस दम्पति को कुल दीपक पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई । पुण्यशाली के जन्म से भला किसको प्रसन्नता नहीं होती । उसका जीवन सर्व प्रिय होता है। इस सिद्धान्त के अनुसार बन्धुवान्धव और इष्ट मित्रों ने बालक के जन्म पर आनन्दोत्सव मनाया । श्री शिवलालजी ने अपने वैभव के अनुरूप वालक का जन्मोत्सव किया । कुलाचार के अनुसार बारहवें दिन नामकरण के लिए कुटुम्बोजन एकत्रित हुए । उस अवसर पर ज्योतिषी को भी बुलाया । जन्म समय देखकर ज्योतिषी ने बालक की जन्मकुण्डली बनाई । उसका फल बताते हुए ज्योतिषी ने कहा-श्रीमान्जी! यह होनहार बालक है। इसकी जन्म कुण्डली यही बतारही है कि यह भविष्य में ख्याति प्राप्त व्यक्ति बनेगा । ज्योतिषी के संकेतानुसार बालक का नाम 'एकलिंगदास' रखा गया । वैसे तो बालक निसर्ग का सुन्दर उपहार होने से स्वभावतः ही सुन्दर और प्रिय लगता है । इस पर भी विशेष पुण्यसामग्री लेकर आए हुए बालकों की मनभावनी मोहकता का तो कहना ही क्या । बालक एकलिंगदास कुछ ऐसी ही विशिष्ट रूप सम्पदा का धनी था अतः वह सब को अत्यन्त प्रिय लगता था। इसकी मुखमुद्रा पर होनहारता के स्पष्ट चिन्ह दिखाई देते थे । बुद्धि की कुशाग्रता. तो इसकी जन्मजात विशेषता थी। आपके जेष्ठ भ्राता का नाम मोडीलालजी था। दोनों वालक रामलक्ष्मण की जोड़ी सी प्रतीत होते थे । बालक एकलिंगदास के जन्म के बाद उनके माता पिता को अधिक से अधिक अनुकूल संयोगों की प्राप्ति होने लगी। इस लाभ को वह दम्पति बालक के पुण्य प्रभाव का फल मात्र समझते थे अतः माता पिता की ममता इस बालक पर विशेष रूप से थी। ___ वालक एकलिंगदास माता पिता की वात्सल्यमयी गोद में दूज के चाँद की तरह बढ़ने लगा। बाल सुलभ चेष्टाओं और अपनी सुन्दर
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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