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________________ श्रीवेणीचन्द्रजी में क्रियापात्र श्रीवेणीचन्द्रजी महाराज __आप का जन्म मेवाड़ देशान्तर्गत चॉकूड़ा (आकोला) नामक एक छोटे से ग्राम में वीसा ओसवाल मादरेचा परिवार में हुभा था । बच. पन में आपके हृदय में वैराग्य के अंकुर जम चुके थे। आप ने मेवाड़े सम्प्रदाय के प्रसिद्ध प्रखर विद्वान् श्री रीषभदासजी महाराज के समीप भांगवती दीक्षा ग्रहण की । आप प्रकृति के संरले गम्भीर और शान्त थे। आपने अनेक प्रान्तों में विचरण कर धर्मजागृति करते हुए अनेक मुमुक्षु जीवों का उद्धार किया । भाप समाजोत्थान और संगठन के अत्यन्त प्रेमी थे। साथी मुनियों के स्वर्गवास से भाप को कुछ समय के लिए अकेला ही रहना पड़ा था । इस अवस्था में माप पर कई प्रतिकूल और अनुकूल उपसर्ग आये किन्तु आप ने उन सभी उपसर्गों को बड़ी धीरता के साथ सहन किया । उपसर्गों के झाझावातों में भी औप पहाड़ की तरह अविचल रहे। संयम सुलभ सद्गुण, सरल शान्त और उदात्त आपका हृदय, गुरु गम्भीर आपका व्यक्तित्व, परिषह सहन करने की अद्भुत क्षमता समय सूचकता और दूरदर्शिता आदि मानव य गुण आप में पूर्णरूप से समुद्भूत हुए थे। ___ आप में धैर्य और आत्मवल कितना जबरदस्त था यह आप के जीवन की एक छोटी सी घटना से ही पता चलता है-एक बार आप के पैरों में सूजन आई। सूजन के कारण आपके सारे शरीर में असह्य पीड़ा उत्पन्न हो गई । चलना फिरना बन्द हो गया । उस समय आप अकेले थे । सेवा में कोई सन्त नहीं था । इस अवस्था में भी भाप ने अपूर्व धैर्य का परिचय दिया । भाप ने इस संकट काल में किसी साध्वी या गृहस्थ से सेवा नहीं करवाई । दवा आदि का भी उपचार नहीं करवाया । आपके पास सभी रोगों को मिटाने की अमोघ औषधी थी तप । आपने उसी समय तेला पक्वं लिया और ध्यान तथा
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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