SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 747
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पू० छोटे श्रीपृथ्वीराजजी म० आदि पूज्यश्री छोटे पृथ्वीराजजी महाराज पूज्य श्री धर्मदासजी महाराज के पाचवें पट्टधर शिष्य छोटे पृथ्वीराजजी महाराज मेवाड़ संप्रदाय के आद्य प्रवर्तक थे । ये बड़े प्रभाव शाली आचार्य थे । संयम के प्रति भापकी अत्यन्त अभिरुचि थी। आपको सदा अपनी आत्मा के अभ्युत्थान का विवार रहता था । आपके उपदेश संसार की असारता, धनदौलत की नश्वरता, जीवनकी क्षणभंगुरता और संयम की सार रूपता से भरे हुए होते थे। आपने मेवाड़ प्रान्त के एक एक गांव में पधार कर दयाधर्म की नींव को दृढ़ किया । आपने अपने जीवन काल में अनेक शासन प्रभावक कार्य किये । आपने तत्कालीन साधु समाज में व्याप्त शिथिलता को दूर कर क्रियोद्धार किया और मेवाद संप्रदाय की नींव डाली । ___ आपके स्वर्गवास के पश्चात् मेवाड़ संप्रदाय के द्वितीय पट्टधर आचार्य हरिरामजी हुए। आचार्य हरिरामजी महाराज शास्त्रज्ञ विचारक एवं कठोर तपस्वी थे। आपने शासन की अत्यधिक प्रभावना की। आप तप की साकार मूर्ति और संयम की विरल विभूति थे । आपके पट्ट पर गंगा की तरह पावन मूर्ति पूज्य श्री गंगारामजी महाराज विराजे । आप जैन शास्त्रों के पारगामी विद्वान थे । आपकी व्याख्यान शैली अपूर्व थी। आपके पश्चात् क्रमश. रामचन्द्रजी महाराज और तत्पट्ट पूज्य श्री नारायणदासजी महाराज इस संप्रदाय के पट्टधर आचार्य बने । पू० नारायणदासजी महाराज के शिष्य पूरणमलजी महाराज थे। ये बड़े विनयो थे और गुरुदेव की आज्ञा को सतत शिरोधार्य रखते थे। आप आगममर्मज्ञ थे । गुरुदेव के स्वर्गवास के बाद आप इस संप्रदाय के आचार्य वने । आपके स्वर्गवास के बाद क्रियोद्धारक हीरजी स्वामी के शिष्य महान तपस्वी पूज्य श्री रोडीदासजी महाराज आचार्य बने । भापका संक्षिप्त में जीवन परिचय इस प्रकार है
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy