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________________ .६७४ आगम, के अनमोल रत्न , इस कनकावली तप की एक परिपाटी में एक वर्ष पांच महिने और बारह दिन लगते हैं। इस में अट्ठासी दिन पारने, के और एक वर्ष दो महिने चौदह दिन तपस्या के होते हैं । चारों परिपाटी को पूरा करने में पांच वर्ष नौ महिने अठारह दिन लगते हैं। । । सुकाली आर्या ने भी काली आर्या की तरह नौ वर्ष चारित्र पालन कर साठ भक्तों का अनशन कर केवलज्ञान प्राप्त किया और मुक्तात्मा हुई। आर्या महाकाली महाकाली आर्या महाराजा श्रेणक की रानी और कोणिक राजा की छोटी माता थी। इसने चम्पा में भगवान महावीर का उपदेश श्रवण कर सुकाली भार्या की तरह उत्सवपूर्वक आर्या चन्दनवाला के समीप - दीक्षा ग्रहण की । सामायिकादि ११ अङ्गसूत्रों का अध्ययन कर अनेक प्रकार की छोटी बड़ी तपस्याएँ की। एक समय आर्या चन्दनबाला की भनुज्ञा प्राप्त कर इस साध्वी ने लघुसिंहनिष्क्रीड़ित नामक तप प्रारम्भ कर दिया । इस तप के प्रारम्भ में इसने सर्वप्रथम उपवास किया । पारणा किया। इसकी पहली परिपाटी के पारणों में विगय का त्याग करना अनिवार्य नहीं होता । फिर बेला कर के पारणा किया और फिर उपवास किया । पारणा करके तेला किया। इस प्रकार क्रमशः २, ४, ३, ५, ४, ६, ५, ७, ६, ८, ७, ९, ८, ९, ७, ८, ६, ७, ५, ६, ४, ५, ३, ४, २, ३ १, २, १ उपवास किया । इस प्रकार लघुसिंहनिष्क्रीड़ित तप की एक परिपाटी की । एक परिपाटी में छ महिने सात दिन लगे। जिसमें पारणे के तेतीस दिन और तपस्याने पांच मास तीन दिन हुए। इस प्रकार महाकाली आर्या ने चार परिपाटी की जिनमें दो वर्ष और अट्ठाईस दिन लगे। इस प्रकार महाकाली आर्या ने सूत्रोक्त विधि से लघुसिंहनिष्क्रीडित तप की आराधना की तथा और भी अनेक प्रकार की फुटकर तपस्याएँ
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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