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________________ . प्राक्कथन Lives of great men, all remind us. . We ,can. make ..our, lives sublime. महापुरुषों के महान् जीवन हमें याद दिलाते हैं कि हम भी उनके पद-चिह्नों पर चलकर अपने जीवन को ज्योतिर्मय बना सकते हैं । यह एक प्रसिद्ध कवितांश है। इसका तात्पर्य-'महाजनो येन गतः सः पन्थः' से भिन्न नहीं है । ये ही नहीं इन से भी कहीं अधिक प्रेरक सूक्तियां शास्त्रों, ग्रन्थों और लोकोक्तियों में उपलब्ध हैं, जो हमें विगत महामानवों के जीवन से प्रेरणाएँ लेने का संदेश देती हैं । सूकियों के इस सम्प्रेरक विधान अथवा निर्देश को हृदयगम करने के साथ ही मन में एक प्रश्न उभरता है कि जो व्यतीत हो चुका है उसका स्मरण क्यों ? अतीत भूत है, हम वर्तमान हैं, हमारी गति भविष्य के लिये अपेक्षित और भाशान्वित है। विगत को याद कर हम पीछे क्यों जायें ? क्यों प्रकृति के भूले बिसरे चित्रों को उभार उभार कर सन्तोष माने ? इस प्रश्न का समाधान आवश्यक है, अतः लगे हाथ. इस पर थोडा विचार करलें। इसमें कोई सन्देह नहीं कि जो आज है वह कल भूत होगा और जो उपस्थित नहीं है वह भविष्य क्ल वर्तमान होगा। ऐसी स्थिति में जीवन भूत, वर्तमान और भविष्य से अनुबद्ध एक ऐसी प्रक्रिया है जो सत्य है। . भविष्य को वर्तमान के रूप में पाकर भी हम विगत को भूल नहीं सकते। हम देखते हैं कि पशु भी पूर्व परिचित स्थान की ओर स्मृतिके सहारे दौड़ जाते हैं। हम तो मानव हैं, मनन-धर्मी मन की. गति को केवल वर्तमान में कैद नहीं कर सकते ।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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