SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीर्थकर चरित्र तेरहवाँ भव भगवान ऋषभ देव का जन्म ___ गत चौवीसी के २४ वें तीर्थकर संप्रतिनाथ के निर्वाण के बाद अठारह कोटाकोटी सागरोपम के बीतने पर इस अवसर्पिणी काल के तीसरे आरे के चौरासी लक्ष पूर्व और नवासी पक्ष अर्थात् तीन वर्ष साढ़े आठ महीने बाकी रहे थे तब आषाढ़ महीने की कृष्ण चतुर्दशी के दिन उत्तराषाढा नक्षत्र में चन्द्र का योग होते ही वज्रनाभ का जीव तैतीस सागरोपम आयु भोगकर सर्वार्थसिद्ध विमान से च्युत होकर जिस तरह मानस सरोवर से गंगातट में हंस उतरता है, उसी तरह नाभि कुलकर की स्त्री-मरुदेवी के पेट में अवतीर्ण हुआ। भगवान के गर्भ में आते ही तीनों लोक प्रकाश से आलोकित हो उठे और लोग सुख और शान्ति का भनुभव करने लगे। उसी रात्रि में महादेवी मरुदेवी ने चौदह महास्वप्न देखे। यथा-वृषभ, हाथी, सिंह, लक्ष्मी, पुष्पमाला, चन्द्रमण्डल, सूर्यमण्डल, महाध्वज, कलश, पद्मसरोवर, क्षीरसमुद्र, देवविमान, रत्नराशि, और निधूम अग्नि । इन स्वप्नों को देखकर मरुदेवी तत्काल जाग उठी। अपने देखे हुए स्वप्नों का चिन्तन कर हर्षित होती हुई रानी मरुदेवी अपने पति महाराजा नामि के पास गई और उन्हें अपने ' देखे हुए महास्वप्न सुनाये । स्वप्नों को सुनकर महाराजा नामि को बड़ी प्रसन्नता हुई । उन्होंने कहा-“हे भद्रे | इन महास्वप्नों के प्रभाव से तुम महान् भाग्यशाली कुलकर को जन्म दोगी।" पति के मुखसे स्वप्न का फल सुनकर मरुदेवी अत्यन्त प्रसन्न हुई । भगवान के च्यवन और मरुदेवी के स्वप्न दर्शन के फल स्वरूप इन्द्रों के आसन चलायमान हुए । इन्द्रों ने अवधिज्ञान से भगवान का मरुदेवी के गर्भ में उत्पन्न होना जान लिण । वे मरुदेवी के पास आकर कहने लगे - "हे स्वामिनी ! आपने जो चौदह स्वप्न देखे हैं वे इस बात को सूचित करते हैं कि आपका पुत्र चौदह भुवन का स्वामी होगा और सारे संसार में धर्मचक्र का प्रवर्तन करेगा।' इस तरह स्वप्नार्थ कहकर और मरुदेवी माता को प्रणाम करके, सव इन्द्र अपने अपने स्थान चले गये । इन्द्रों के मुख
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy