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________________ आगम के अनमोल रत्न ४९९ की बाल युवा और वृद्ध इन तीनों अवस्था को देखा था । परिवर्तनशील संसार का विचार करते करते करकण्डू को जातिस्मरण-ज्ञान उत्पन्न हुआ । उसने समस्त राज्य का त्याग कर दिया और केश लुचन कर साधु बन गया । कालान्तर में प्रत्येकवुद्ध अवस्था को प्राप्त कर पृथ्वी पर विचरने लगे । विहार करते करते एक वार वे क्षितिप्रतिष्ठित नगर में द्विमुख आदि प्रत्येकबुद्ध से मिले और धर्मालाप किया। मन्त में करकण्डू मुनि केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष में गये । ३. दुम्मुह (द्विमुख) ___ पांचाल जनपद में काम्पिल्यपुर नाम का नगर था। वहाँ 'जव' नाम का राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम गुणमाला था। राणा के सात पुत्र और मदनमंजरी नाम की एक पुत्री इस प्रकार कुल आठ सन्तानें थीं। एक बार अन्य देश से आये हुए किसी राजदूत से राजा ने यूछा- 'मेरी राजधानी में किस वात की कमी है ? दूत ने उत्तर में कहा-"राजन् ! इस स्वर्ग तुल्य नगरी में एक चित्रशाला की ही कमी है।" राजाने उसी समय कारीगरों को चित्रशाला निर्माण करने का आदेश दिया । चित्रशाला के लिये जमीन की खुदाई करते समय राजा को एक बहुमूल्य रत्नमय मुकुट मिला। राजा ने बड़े, उत्सव के साथ वह मुकुट पहना । मुकुट में राजा के मुख का प्रति बिम्ब पड़ता था, इसलिए लोग राजा को दुम्मुह (द्विमुख) कहते थे । _____ उज्जयनी, के राजा प्रद्योत ने द्विमुख से मुकुट की मांग की। इस पर द्विमुख राजा ने दूत के साथ कहला भेजा-"अगर चण्डप्रद्योत द्विमुख राजा को अलनगिरि हाथी, अग्निभीरु रथ, शिवादेवी और लोहजंघ नामक लेखाचार्य ये चार चजें देना सीकार करें तो उन्हें मुकुट । मिल सकता है।' इस पर चण्डप्रयोत अत्यन्त बुद्ध हुभा और उसने विशाल सेना के साथ कामिल्यपुर पर चढ़ाई कर दी । घमासान युद्ध के;
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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