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________________ आगम के अनमोल रत्न गौतमकुमार की तरह समुद्रकुमार, सागरकुमार, अक्षोभकुमार, प्रसेनजित्कुमार और विष्णुकुमार ने भी भगवान अरिष्टनेमि के समीप प्रव्रज्या ग्रहण की। अंगसूत्रों का अध्ययन क्यिा और गुणरत्न संवत्सर एवं भिक्षु प्रतिमाओं का सम्यक् आराधन किया। बारह वर्ष का संयम पालन कर एक-एक मास की संलेखना के साथ शत्रुजयपर्वत पर सिद्धि प्राप्त की । ये नौ ही कुमार अंधकवृष्णि के पुत्र थे । इनकी माता का नाम धारिणी था । इसके सिवाय अंधकवृष्णि और धारिणी देवी के और भी आठ पुत्र थे जिनके नाम ये हैं-अक्षोभ, सागर, समुद्र, हिमवान, अचल, धरण, पूरण और अभिचन्द । इन आठों कुमारों ने विवाह किया और गौतमकुमार की तरह भगवान अरिष्टनेमि के समीप प्रवज्या ग्रहण की। गुणरत्न सवत्सर तप किया । सोलह वर्षतक संयम पालन कर शत्रुजयपर्वत पर इन्होंने एक मास की संलेखना की और केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष में गये । ये अठारह कुमार सगे भाई थे । ___ अनिकसेन आदि कुमार भद्दिलपुर नगर में जितशत्रु राजा राज्य करते थे। वहाँ नाग नाम का गाथापति रहता था । उसकी सुलसा नामकी गुणवती पत्नी थी। इसके अनिकसेन, अनन्तसेन, अजितसेन, अनहितरिपु, देवसेन और शत्रसेन नामके छ पुत्र थे। ये अत्यन्त सुकुमार थे। कलाचार्य के पास रहकर इन कुमारों ने अपनी तीन प्रतिभा से समस्त कलाएँ और विद्याएँ सीख ली । युवा होने पर इनके माता पिता ने समान वय, समान वर्ण और लावण्य, रूप-यौवन मे एकसी सुशील उच्च धराने की वत्तीस इभ्य की कन्याओं के साथ इनका विवाह कर दिया। प्रत्येक कुमार को अपनी बत्तीस पत्नियों के साथ साथ बत्तीस वत्तीस करोड़ का दहेज भी मिला । इन कुमारों में यह विशेषता थी कि ये समान रूप लावण्य और वय वाले लगते थे। अलसो के पुष्ध के
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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