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________________ आगम के अनमोल रत्न ८ बलदेव वासुदेव ९ बलदेव १० वासुदेव ११ प्रति के पिता की माता की माता वासुदेव ३ सोम सुप्रभा पृथ्वी 'मेरक सुदर्शना सीता मधुकैटभ ५ शिव विजया अमृत निशुंभ ६ महाशिव वैजयंती __ लक्ष्मीमती बलि ७ अग्निशिख जयंती शेषमती प्रहाद ८ दशरथ अपराजिता सुमित्रा रावण ९ वसुदेव रोहिणी देवकी जरासंध नौ नारदः प्रत्येक उत्सर्पिणी तथा अवसर्पिणी में नौ नारद होते हैं। वे पहले मिथ्यात्वी 'तथा बाद में सम्यक्त्वी हो जाते हैं। सभी मोक्ष या स्वर्ग में जाते हैं। उनके नाम इस प्रकार है-१ भीम २ महाभीम ३ रुद्र ४ महारुद्र ५ काल ६ महाकाल ७ चतुर्मुख ८ नवमुख ९ उन्मुख । ग्यारह-गणधर . १. गौतमस्वामी मगध देश में गोवर नामक गांव था । वहाँ वसुभूति नाम का गौतम गोत्रीय ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम पृथ्वी था । पृथ्वीदेवी ने वि. सं. पूर्व ५५१ में एक तेजस्वी बालक को जन्म दिया। इस का जन्मनक्षत्र ज्येष्ठा और जन्मराशि वृश्चिक थी। मातापिताने वालक का नाम इन्द्रभूति रखा। इन्द्रभूति वुद्धि में चतुर, स्वभाव में मधुर और रूप में सुन्दर था। माता का वात्सल्य और पिता का स्नेह उन्हे खूप मिला था । अपनी अलौकिक प्रतिभा और बुद्धि की विशेषता के कारण उन्होंने अल्पकाल में ही चौदह विद्याएँ सोखली "थीं। अपनी प्रतिभा और विद्वत्ता के कारण सारे मगध में सम्माननीय स्थान प्राप्त कर लिया था । उन्हें अपनी विद्वत्ता का अभिमान था । उनकी विद्वत्ता की प्रशंसा सुनकर दूर-दूर से छात्र पढ़ने के लिये उनके
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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