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________________ चारह चक्रवर्ती ३२५ श्रृंखला में बांधकर हाथी घोड़े रथ और पैदल आदि सारी सेना सहित बत्तीस हजार राजा उस जंजीर को खींचने लगें तो भी वे एक चक्रवर्ती को नहीं खींच सकते किन्तु उसी जंजीर को बाएँ हाथ से पकड़ कर चक्रवर्ती अपनी तरफ उन सबको बड़ी आसानी से खींच सकता है। चक्रवर्तियों का हार प्रत्येक चक्रवर्ती के पास श्रेष्ठ मोती और मणियों अर्थात् चन्द्रकान्त आदि रत्नों से जड़ा हुआ चौसठ लड़ियों का हार होता है। चक्रवर्तियों के एकेन्द्रिय रत्न प्रत्येक चक्रवर्ती के पास सात सात एकेन्द्रिय रत्न होते हैं। अपनी अपनी जाति में जो सर्वोत्कृष्ट होता है वह रत्न कहलाता है। वे ये हैं१ चक्ररत्न २ छत्ररत्न ३ चर्मरत्न १ दण्डरत्न ५ असिरत्न ६ मणिरत्न ७ काकिणीरत्न [भष्टसुवर्णपरिमाण होता है । यह रत्न छ खण्ड, चारह क्रोदि(धार) तथा अष्ट कोण वाला होता है । इसका आकार लोहार के ऐरण जैसा होता है ये सातों रत्न पृथ्वी रूप है। चक्रवर्तियों के सात पंचेन्द्रिय रत्न १ सेनापति २ गृहपति(भंडारी) ३ वर्धकी (बढ़ई) ४ शान्तिकर्म कराने वाला पुरोहित ५ स्त्रीरत्न ६ अश्वरत्न ७ हस्तिरत्न। __ इन चौदह रत्नों की एक एक हजार यक्ष देव सेवा करते हैं । चक्रवर्तियों का वर्ण शुद्ध निर्मल सोने की प्रभा के समान उनके शरीर का वर्ण होता है। चक्रवर्तियों के स्त्री रत्न १ सुभद्रा २ भद्रा ३ सुनन्दा ४ जया ५ विजया ६ कृष्णश्री ५ सूर्यश्री ८ पद्मश्री ९ वसुन्धरा १० देवी ११ लक्ष्मीमती १२ कुरुमती चक्रवर्तियों की जीवनझाँकीनाम स्थिति अवगाहना १ भरत ८४ लाख पूर्व ५०० धनुष २ सगर ४५० ।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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