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________________ NANA ३२० आगम के अनमोल रत्न नष्ट कर देने का विचार किया । उसने चुलणी को यह बता दिया । चुलणी भी ब्रह्मदत्त को मार डालने में सहमत हो गई । इधर ब्रह्मदत्त को भी अपनी माता के व्यभिचार का पता चल गया। उसने माता को खूब समझाया लेकिन उसका उस पर कुछ भी असर नहीं पड़ा । राजा ब्रह्म का मंत्री धनु था। उसे दीर्घपृष्ट राजा की बदनीयत का पता चल गया । दीर्घपृष्ट राजा ने ब्रह्मदत्त को जिंदा जला डालने के लिए एक लाक्षागृह का निर्माण करा दिया । धनु मंत्री ने पहले ही से उसमें एक गुप्त रास्ता बनवा दिया। दीर्घपृष्ट राजाने पुष्पचूल राजा की पुत्री पुष्पचूला के साथ विवाह करा उसे लाक्षागृह में भेज दिया । रात्रि के समय दीर्घपृष्ट ने लाक्षागृह का रास्ता बन्द कर उसमें आग लगा दो । ब्रह्मदत्त पहले हो धनु के पुत्र वरधनु के साथ गुप्त रास्ते से निकल कर भाग गए । पुष्पचूला के स्थान पर एक दासी को वहीं रखा गया था। अब ब्रह्मदत्त वरधनु के साथ अन्य देश के लिए रवाना हो गये । भागते हुए जब वे एक घने जंगल में पहुँचे तो ब्रह्मदत्त को बड़ी प्यास लगी । उसे एक वृक्ष के नीचे बिठाकर वरधनु पानी लाने के लिए गया । . दीर्घपृष्ठ को जब मालूम हुआ कि कुमार बंभदत्त लाक्षागृह से जीवित निकल कर भाग गया है तो उसने चारों तरफ अपने आदमियों को दौड़ाया और आदेश दिया कि जहाँ भी ब्रह्मदत्त और वरधनु मिले उन्हें पकड़कर मेरे पास लाओ। इन दोनों की खोज करते हुए राजपुरुष उसो बन में पहुँच गए । जब वरधनु पानी लेने के लिए एक सरोवर के पास पहुंचा तो राजपुरुषों ने उसे देख लिया और उसे पकड़ लिया । उसने उसी समय ऊँचे स्वर से संकेत किया जिससे ब्रह्मदत्त समझ गया और वहाँ से उठ कर एक दम भाग गया । ... राजपुरुषों ने वरधनु को पकड़ लिजा और उसे राजकुमार के बारे में पूछा किन्तु उसने कुछ नहीं बताया। तब वे उसे मारने पीटने
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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