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________________ बारह चक्रवर्ती उस दानशाला में एक उच्च आसन पर दाढाभों का थाल रखा और उस पर वीर सैनिकों का पहरा बैठा दिया । उनको यह सूचना दी कि जब किसी व्यक्ति के स्पर्श से यह दाढाऐं खीर बन आँय तो तुरन्त मुझे सूचित करना । सुभूम ने एक बार अपनी माता से अपना पूर्व वृत्तान्त सुना । परशुराम के द्वारा पिता की हत्या व अपने राज्य छिन जाने की सारी घटना सुनकर वह अत्यन्त कुद्ध हुआ । उसने पिता का बदला लेने का निश्चय किया । वह अपने श्वसुर मेघनाद के साथ हस्तिनापुर भाया भौर दानशाला में पहुँचा । उसने दाढाओं को स्पर्श किया । सुभूम का हाथ लगते ही दाढाऐं गलकर खीर हो गई। सुभूम खीर को पी गया । यह देख सैनिक सुभूम को मारने के लिए दौड़े । मेघनाद ने सब को मार डाला । एक सैनिक परशुराम के पास पहुंचा और उसने दानशाला की सारी घटना कह सुनाई। परशुराम तत्काल अपने वीर सैनिकों के साथ वहाँ आया और परशु को अत्यन्त कोध के साथ सुभूम पर फेंका । परशुराम का निशाना चूक गया । सुभूम ने उस परशु को उठा लिया । परशुराम जब परशु को छीनने के लिये आया तो सुभूम ने थाली को चक्र की तरह बड़ी तेजी से धुमाया और उसे परशुराम पर दे मारा । चक की तरह थाली ने परशुराम के सिर को काट दिया । परशुराम मर गया और सुभूम राजा बन गया । उसकी आयुधशाला में चक्ररत्न उत्पन्न हुआ । उसने चक्ररत्न की सहायता से भारतवर्ष के छः खण्ड पर अधिकार कर लिया । उसने २१ बार पृथ्वी को ब्राह्मण शून्य बना दिया । विशाल राज्य पाकर सुभूम भोगविलासी वन गया। उसने अपने राज्य में अनेक हिंसा के कार्य किये । महारंभ महापरिग्रह और घोर हिंसा के परिणाम स्वरूप अपनी साठ हजार वर्ष की आयु पूरी कर वह भरा और सातवीं नरक में नरयिक के रूप में उत्पन्न हुआ। यह २८ धनुष ऊँचा था। यह चक्रवर्ती भगवान भरनाथ स्वामी के तीर्थ में हुमा था।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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