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________________ चारह चक्रवर्ती एक वार रेणुका अपनी बहन को मिलने के लिए हस्तिनापुर गई । रेणुका के रूप को देखकर अनन्तवीर्य उस पर मोहित होगया हैवह उसके साथ काम क्रीड़ा करने लगा फलस्वरूप रेणुका को गर्भ रह गया। गर्भकाल के पूर्ण होने पर उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई। कुछ दिनों के बाद रेणुका अपने जारज पुत्र को लेकर पुनः पति के आश्रम लौट आई। अपनी माता की व्यभिचार वृत्ति देखकर परशुराम अत्यन्त क्रुद्ध हुमा । उसने जारज पुत्र के साथ अपनी माता रेणुका की परशु से हत्या करदी। अनन्तवीर्य को जब यह समाचार मिला तो वह परशुराम पर वड़ा क्रुद्ध हुआ । अपने चुने हुए सैनिकों को साथ ले वह जमदग्नि के आश्रम में पहुँचा । उस समय कार्यवश परशुराम अन्यत्र चला गया था। अनन्तवीर्य ने जमदग्नि को तथा आश्रम वासियों को मारा पीटा। आश्रम को नष्ट कर और उनकी तमाम गायों को लेकर चला गया। परशुराम जब वापस लौटा तो उसने अपने उजड़े हुए माश्रम को देखा । उसे अनन्तवीर्य के इस दुस्साहस पर अत्यन्त क्रोध आया । अोधमूर्ति परशुराम अनन्तवीर्य को सजा देने के लिए चल पडा। रास्ते में ही उसने अनन्तवीर्य को और उसके साथियों को एक एक करके मार डाला। अपनी गायों को लेकर वह पुनः अपने आश्रम लौट आया। अनन्तवोर्य की मृत्यु के बाद उसका पुत्र कृतवार्य हस्तिनापुर का राजा बना । कृतवीर्य का राजकुमारी तारा के साथ विवाह हुआ रानी तारा के साथ सुखपूर्वक कृतवीर्य राज्य का संचालन करने लगा। __कालान्तर में रानी तारा गर्भवती हुई । भूपालमुनि का जीव महाशुक विमान से चवकर महारानी तारा के उदर में उत्पन्न हुआ। महारानी तारा ने १४ महास्वप्न देखे । एक बार कृतवीर्य ने अपनी माता को अपने पिता का हाल पूछा। उसने कहा-पुत्र ! जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने तेरे पिता की हत्या कर दी थी। जब उसने यह सुना तो वह परशुराम पर अत्यन्त क्रुद्ध
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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