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________________ बारह चक्रवर्ती ३०५ ४. सनत्कुमार चक्रवर्ती कुरुदेश की राजधानी हस्तिनापुर थी । वहाँ शत्रुओं को दमन करने वाले अश्वसेन नाम के राजा राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम सहदेवी था। जिन धर्मकुमार का जीव सौधर्म देवलोक से च्यवकर महारानी सहदेवी के गर्भ में आया । महारानी ने चौदह महास्वप्न देखे । गर्भकाल के पूर्ण होने पर महारानी ने पुत्र को जन्म दिया। माता पिता ने उत्सवपूर्वक वालक का नाम सनत्कुमार रखा । सनत्कुमार वाल से युवा हुए । युवावस्था में सनत्कुमार का विवाह साकेतपुर के राजा सुराष्ट्र की पुत्री सुनन्दा के साथ हुआ । सनत्कुमार ने अनेक देशों में परिभ्रमण कर अपने पराक्रम का परिचय दिया। महाराज अश्वसेन ने पुत्र के प्रबल पराक्रम को देख कर अपने राज्य का भार कुमार सनत्कुमार को देकर राज्याभिषेक कर दिया और महेन्द्रसिंह नामक उसके बालमित्र को उनका सेनापति बनाया । इसके बाद वे स्थविर मुनिवर के पास दीक्षित हो गए। नीतिपूर्वक राज्य का संचालन करते हुए महाराजा सनत्कुमार की आयुधशाला में चक्ररत्न उत्पन्न हुआ। बाद में अन्य तेरह रत्न भो प्राप्त हो गये। उन्होंने चौदह रत्नों की सहायता से षखंड पर विजय प्राप्त की। जब वे विजयी बनकर हस्तिनापुर आये तो शकेन्द्र की आज्ञा से कुवेर ने सनत्कुमार के चक्रवर्ती पद का राज्याभिषेक किया । राज्याभिषेक के उपलक्ष में चक्रवर्ती सम्राट ने बारह वर्ष तक प्रजा को सभी प्रकार के कर से मुक्त कर दिया। सनत्कुमार चक्रवर्ती प्रज्ञा का पुत्रवत् पालन करने लगे। सनत्कुमार चक्रवर्ती बहुत रूपवान् थे। उनके रूप की प्रशंसा बहुत दूर दूर तक फैल चुकी थी। उनके रूप को देखने के लिये लोग दूर दूर से आते थे ।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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