SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 318
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम के अनमोल रत्न (१) महापद्म (पद्मनाभ) (२) सूरदेव (३) सुपार्श्व (१) स्वयंप्रभ (५) सर्वानुभूति (६) देवश्रुत (देवगुप्त) (७) उदक (८) पेढालपुत्र (6) पोट्टिल (१०) शतकीर्ति (११) मुनिसुत्रत (सर्वविद) (१२) अमम (१३) निष्कषाय (१४) निप्पुलाक(१५) निर्मम (१६) चित्रगुप्त (१७) समाधिजिन (१८) संवर (अनिवृत्ति) (१९) यशोधर (२०) विजय (२१) मल्लि (विमल) (२२) देविजन (देवोपपात) (२३) (अनन्तवीर्य) अनन्तविजय (२४) भद्रजिन। ऐरावत क्षेत्र के आगामी २४ तीर्थकर - आनेवाले उत्सर्पिणी काल में जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र में चौबीस तीर्थकर होंगे। उनके नाम ये हैं १ सुमंगल २ सिद्धार्थ अर्थसिद्ध ३ निर्वाण ४ महायश ५ धर्मध्वज ६ श्रीचन्द्र ७ पुष्पकेतु ८ महाचन्द्र ९ श्रुतसागर १० पुण्यघोष ११ महाघोष १२ सत्यसेन १३ शूरसेन १४ महासेन १५ सर्वानन्द १६ देवपुत्र १७ सुगनं १८ सुवत १९ सुकोशल २० अनन्तविजय २१ विमल २२ महाबल २३ उत्तर २४ देवानन्द ग्यारह रुद्र १ भीमावली २ जितशत्रु ३ रुद्र ४ विश्वानल ५ सुप्रतिष्ठ ६ अचल ७ पुण्डरीक ८ जितधर ९ अजितनाभ १० पेढाल ११ सत्यकि श्री ऋषभदेव के समय भीमावली नामक रुद्र हुआ । श्री अजितनाथ के तीर्थ में जितशत्रु, श्री सुविधिनाथ के तीर्थ में रुद्र, श्री शीतलनाथ के तीर्थ में विश्वानल, श्री श्रेयांसनाथ के तीर्थ में सुप्रतिष्ठ, श्री वासुपूज्य के तीर्थ में अचल, श्री विमलनाथ के तीर्थ में पुण्डरीक, श्री, अनतनाथ के तीर्थ में अजितघर, श्री धर्मनाथ के तीर्थ में अजितनाभ, श्री शान्तिनाथ के तीर्थ में पेढाल एवं श्री महावीर स्वामी के में तीर्थ सत्यकी नाम के रुद्र हुए। ये रुद्र कठिन तपश्चर्या करने वाले थे । एकादश अंग सूत्रों के 'ज्ञाता थे । कठोर तपश्चर्या के कारण ये महामुनि रुद्र कहलाये ।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy