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________________ आगम के अनमोल रत्न ११. वज्रधरस्वामी धातकीखण्ड द्वीप में पूर्व महाविदेह के वच्छ नामक विजय में सुसीमापुरी नामक नगरी में पद्मरथ नाम का राजा राज्य करता था । उसकी रानी सरस्वती की कुक्षि से वज्रधरस्वामी ने जन्मग्रहण किया। आप जब गर्भ में आये थे तब महारानी ने १४ महास्वप्न देखे थे। जन्म से ही अवधिज्ञानी वज्रधर कुमार का शरीर कंचनवर्णी है तथा शंख लाछन से युक्त है । आपका विवाह विजयादेवी से हुआ । पांच सौ धनुष की ऊँचाई वाले महाप्रभु वज्रधर ने तिरासी लाख पूर्व की अवस्था में वार्षिकदान देकर दीक्षा ग्रहण की और केवलज्ञान प्राप्त किया । ८४ लाख पूर्व की अवस्था में आप निर्वाण प्राप्त करेंगे। आप इस समय वच्छ विजय में विचरण कर जनता को पावन कर रहे हैं। . १२.. चन्द्राननस्वामी धातकीखण्ड द्वीप में नलिनावती विजय में वीतशोका नाम की सुन्दर नगरी है। वहाँ वल्मीक नाम का राजा राज्य करता था । उसकी पद्मावती नाम की मुख्य रानी थी। भगवान चन्द्रानन जब माता के गर्भ में आये थे तब उनकी माता ने चौदह महास्वप्न देखे थे। यथासमय भगवान चन्द्रानन का जन्म हुआ । इन्द्र, देव एवं देवियों ने उत्साहपूर्वक भगवान का जन्मोत्सव किया । भगवान के कांचनवर्णी देह पर वृषभ का लांछन बड़ा मनोहर लगता है । युवावस्था में भगवान का विवाह लीलावती नामे की सुन्दर कन्या के साथ हुआ। पाचसौ धनुष की ऊंचाई वाले भगवान' चन्द्रानन ने तिरासी लाख पूर्व की भवस्था में वार्षिक 'दान देकर प्रवज्या ग्रहण की और धन घाती. कर्मों को 'खपाकर केवलज्ञान प्राप्त किया । ८१ लाख पूर्व की उनकी कुल आयु है । चार तीर्थों का नेतृत्व करते हुए भगवान चन्द्राजन इस समय नलिनावती विजय में विचरण कर रहे हैं। .. .
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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