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________________ 'तोर्थङ्कर चरित्र . वैशाली के पश्चिमभाग में गण्डकी नदी बहती थी। उसके पश्चिमतट पर स्थित ब्राह्मणकुण्डपुर, क्षत्रियकुण्डपुर, वाणिज्यप्राम, कमरिग्राम और कोल्लागसन्निवेश जैसे अनेक उपनगर वैशाली की समृद्धि बड़ा रहे थे। ब्राह्मणकुण्डपुर और क्षत्रियकुण्डपुर क्रमशः एक दूसरे के पूर्व और पश्चिम में थे । उन दोनों के दक्षिण और उत्तर ऐसे दो-दो भाग थे। दोनों नगर पास-पास में थे । इनके वीच 'बहुसाल' नाम का उद्यान था। ब्राह्मणकुण्ड का दक्षिण विभाग ब्रह्मपुरी के नाम से प्रसिद्ध था। -उसमें अधिकांश ब्राह्मणों का ही. निवास था । इसका नायक कोडालगोत्रीय ऋषभदत्त ब्राह्मण था । वह वेदादि शास्त्रों में पारंगत था । उसकी स्त्री देवानन्दा जालन्धर गोत्रीया ब्राह्मणी थी। ऋषभदत्त और देवानन्दा भगवान पार्श्वनाथ- के शासनानुयायी थे। उत्तर क्षत्रियकुण्डपुर में करीब ५०० घर ज्ञातवंशीय क्षत्रियों के थे । उनके नायक थे महाराजा सिद्धार्थ। वे सर्वाधिकार सम्पन्न राजा 'थे । इनका काश्यप गोत्र था । महाराजा सिद्धार्थ की रानी त्रिशला वैशाली के सम्राट चेटक की बहन एवं वासिष्ठ गोत्रीया क्षत्रियाणी थी। वे दोनों भगवान पार्श्वनाथ की श्रमण परम्परा को माननेवाले थे । इनके ज्येष्ठपुत्र का नाम नन्दिवर्धन था । नन्दिवर्धन का विवाह वैशाली के राजा चेटक को पुत्री जेष्ठा के साथ हुआ था। महामुनि, नन्दन का जीव 'प्राणत' कल्प के पुष्पोत्तरविमान से च्यवकर भाषाढशुक्ला छठ के दिन हस्तोत्तरा नक्षत्र से चन्द्रमा का योग होने पर देवानन्दा ब्राह्मणी के गर्भ में भाया । उसरात्रि में देवानन्दा ने- चौदह महास्वप्न देखे । स्वप्न देखकर वह तुरन्त अपनी शया से उठ बैठी और ऋषभदत्त के शयनकक्षा में जाकर बोली- . .. ३ :: . .. ... .
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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