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________________ तीर्थकर चरित्र इन कुलाभिमान से मरीचि ने नीचगोत्र का बन्धन किया । ८४लाख पूर्व का आयुष्य पूर्ण करके मरीचि ब्रह्म देवलोक में: देव बना। पाँचवाँ और छठा भव ब्रह्म देवलोक में दस सागरोपम का आयुष्य पूर्णकर नयसार का जीव कोल्लागसन्निवेश में कौशिक नामक ब्राह्मण हुमा । ' उसने ८० लाख पूर्व वष का आयुष्य पाया था। वहां से भरकर सौधर्मः देवलोक में देव हुआ और वहां से चवकर नयसार के जीवने अनेक भव किये। सातवाँ और आठवाँ भव___सातवे भव में नयसार का जीव थुना नगरी में पुष्यमित्र नामक' ब्राह्मण हुभा । उसका आयुष्य ७२ लाख पूर्व का था। गृहस्थाश्रम में कुछ काल तक रहकर वह परिव्राजक बना और आयुष्य पूर्णकर' सौधर्म देवलोक में देव हुआ । नवाँ और दसवाँ भव देवलोक का आयु पूर्णकर नयसार का जीव चैत्यसन्निवेश में अग्निद्योत नामक ब्राह्मण हुमा । भनियोत भी अन्त में परिव्राजक वना और चौसठ लाख पूर्व का आयुष्य समाप्त करके ईशान देवलोक में मध्यम स्थितिवाला देव बना । ग्याहरवाँ और बारहवाँ भव ईशानदेवलोक से च्युत होकर नयसार का जीव दसवें भव में मन्दिरसन्निवेश में अग्निभूति ब्राह्मण हुआ । अन्त में उसने परिव्राजक दीक्षा ग्रहण की और छप्पनलाख पूर्व की भायु पूर्णकर सनत्कुमार देवलोक में देव बना । तेरहवाँ और चौदहवाँ भव सनत्कुमार देवलोक की आयु पूर्ण कर नयसागर का जीव श्वेताम्बिका नगरी में भारद्वाज नामक ब्राह्मण हुआ । भारद्वाज ने परिव्राजक.
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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